बुधवार, 13 जनवरी 2016

सुर-३७८ : "लोहड़ी की रात... होगा खूब धमाल...!!!"

दोस्तों...

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हर एक पर्व
जगाता दिल में हर्ष
आने से जिसके
छाता उल्लास हर घर
बने पकवान
सजे हर एक दीवारों दर
मिटे मन विषाद
तन हो नव ऊर्जा से आबाद        
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विविधताओं से भरे इस देश में जितने भांति-भांति के लोग रहते उतने ही उनके अलग-अलग रीति-रिवाज़ और त्यौहार भी होते जिन्हें सब एक साथ मिलकर मनाते जिससे अनेकता में एकता की मिसाल जीवंत हो जाती कुछ ऐसा ही होता जब संपूर्ण विश्व को अपनी रौशनी से प्रकाशित करने वाला ‘सूर्य’ मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होता तो हर दिशा में रहने वाले इसे अपनी-अपनी तरह से मनाते किसी के लिये ये ‘लोहड़ी’ का उत्सव बनकर आता तो कोई इस दिवस को ‘पोंगल’ के रूप में मनाता तो अधिकांश जगह इसे ‘मकर संक्रांति’ के रूप में मनाया जाता याने कि जिस तरह सूरज समस्त भूमंडल को अपने एक समान प्रकाश से एक विशाल परिवार की तरह जीवनदायिनी ऊर्जा वितरित करता उसी तरह सभी लोग अपने प्रांत की मान्यताओं के अनुसार उसकी पूजा-अर्चना कर उसके प्रति अपनी मनोभावनाओं के श्रद्धा सुमन समर्पित करते तो आज रात सूर्य नारायण के परिवर्तन काल को उत्तर भारत में ‘लोहड़ी’ के रूप में मनाया जायेगा

जिस तरह हर पर्व के साथ कुछ लोक कथायें और चंद ठोस मान्यतायें जुडी होती उसी तरह इसके साथ भी हैं चूँकि ये सर्वाधिक ठंड वाले पोष माह में आता तो अलाव जलाकर उसकी तपन में सर्द अहसास को कम किया जाता और नाच-गाकर तन-मन को नूतन ऊर्जा से भर लिया जाता याने कि जहाँ ठंड के कारण लोगों के हौंसले भी ठंडे पड़ने लगते तो ऐसे में इस तरह का मस्ती भरा त्यौहार उनको अंदर-बाहर से जोशीली गर्मी से भर देता तो सभी को उमंग भरे इस पर्व की अनेकानेक बधाइयाँ... :) :) :) !!!  
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१३ जनवरी २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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