गुरुवार, 14 जनवरी 2016

सुर-३७९ : "आई मकर संक्रांति... देगी अपार शांति...!!!"


दोस्तों...

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सूरज की गति
दिन-रात बदलती
जब होती ये ‘उत्तरायण’
शुभ घड़ी बनती
राशि परिवर्तन होते ही
मौसम की छटा भी
नये रंग में ढ़लती
देख ये बदलाव
दुनिया स्वागत करती
एक दूजे को बधाई देती
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हमारे यहाँ ‘सूर्य नारायण’ को तो साक्षात् देवता माना गया हैं जिनके आगमन से ही हमारे दिन की शुरुआत होती और हम सबको जीवनदायनी ऊर्जा प्राप्त होती जिसकी गति बदलने से पूरी दुनिया में प्रकृति भी अपना रूप-रंग बदल लेती और फिर इसका ‘दक्षिणायन’ से ‘उत्तरायण’ होना तो धार्मिक एवं सामाजिक हर दृष्टिकोण से फलदायी माना जाता कि धर्म-शास्त्रों में वर्णित हैं कि जहाँ सूरज के ‘दक्षिणायन’ गमन को देवताओं की रात्रि कहा जाता वहीँ उसका ‘उत्तरायण’ होना ‘दिन’ कहलाता और इस तरह छे महीने का दिन तो छे महीने की रात होती और इसका मकर राशि में प्रवेश तो संपूर्ण भारतवर्ष में ही तरह-तरह से मनाया जाता जो इसके महत्व को स्वयं ही बताता कि ‘सूर्य’ किस तरह से सबके लिये जरूरी हैं जिसके बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता अतः उसका ये बदलाव सभी के लिये सकारात्मक माना जाता तो पूजनीय भी होता इसलिये इस पर्व के दिन सभी उसके उदय होने का बड़े ही हर्षोल्लास से या तो पावन नदियों में डुबकी लगाकर या घर में ही उबटन लगा स्नान कर पूर्ण श्रद्धा व आस्था के साथ जल की आहुति दे समवेत स्वर में मंत्रोच्चारण करते हुये अभिनंदन करते तो एकाएक सारा माहौल ही पवित्र हो जाता जिससे नूतन ऊर्जा ग्रहण कर जन-जन पुनः नवीन कर्मो में जुट जाता तो जिस दिन का इंतजार शरशैय्या में पीड़ा सहते हुये ‘भीष्म पितामह’ ने भी किया था उसी का आगमन सबके लिये शुभ हो सबकी मनोकामनायें पूर्ण हो... जीवन में नूतन उत्साह का संचार हो... ‘मकर संक्रांति’ मुबारक हो... :) :) :) !!!          
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१४ जनवरी २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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