मंगलवार, 26 जनवरी 2016

सुर-३९१ : "सृदृढ़ हो 'संविधान'... जो बनाये देश महान...!!!"

दोस्तों...

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विविधता में
समानता दर्शाये
हर संस्कृति
आकर इसमें समाये
समभाव का
हमको पाठ पढ़ाये
मौलिक अधिकार ही नहीं
कर्तव्य भी समझाये
शामिल इसमें मताधिकार
जो सरकार बनाये
सियासती मंत्र सीखने  
राजनीतिज्ञ इसे आजमाये 
गणतंत्रऐसा दिया
पाकर जिसको जन-जन हर्षाये
धर्मग्रंथ समान पावन  
देश का ये संविधानकहलाये ॥
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संविधानकिसी भी देश की रीढ़ की हड्डी की तरह होता जिस पर पूरा मुल्क टिका होता अतः उसका एक साथ ही सृदृढ़ एवं लचीला होना आवश्यक होता ताकि वो अपनी मजबूत आधारशिला पर न सिर्फ इतने विशाल साम्राज्य का भार झेल सके बल्कि जरूरत पड़ने पर आसानी से उसे किसी भी दिशा में मोड़ा या फिर अनावश्यक हिस्से को तोड़कर नया भी लगाया जा सके तभी तो जब १५ अगस्त १९४७ को हमारा भारतविदेशियों के चंगुल से मुक्त हुआ तो इसे एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने नियमावली की आवश्यकता महसूस की गयी क्योंकि बिना संविधान के किसी भी देश का संचालन सुचारू रूप से किया जाना संभव नहीं कि वही तो हुकूमत को दिशा-निर्देश प्रदान करता जिसका उपयोग कर सियासतदान एवं सभी अधिकारी अपने वतन की सभी गतिविधियों को सही तरीके से संचालित कर पाते अतः इसके लिये उस समय के शीर्षस्थ नेतागणों ने बेहद मशक्कत की जिसके परिणामस्वरूप लगभग २ साल, ११ महीने और १८ दिनों की कवायद के बाद ३९५ अनुच्छेद की एक वृहद पुस्तिका या प्रारूप तैयार हुआ जो कि २२ भागों में विभाजित था जिसमें कि उस समय सिर्फ ८ अनुसूचियों को स्थान दिया गया था जो कि संपूर्ण विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधानमाना जाता हैं ।

जैसा कि हमें विदित हैं कि इसमें समयानुसार परिवर्तन की सुविधा का प्रावधान हैं अतः अब तक लगभग सौ से अधिक संशोधनों के पश्चात् इसमें ४६५ अनुच्छेद जोड़े जा चुके हैं जो कि १२ अनुसूचियों में बंटे हुये हैं और इनमें २२ भाग रखे गये है जिसे कि २६ नवंबर १९४९ को अपने मूल स्वरूप में संविधान सभा में पारित किया गया और २६ जनवरी १९५० से इसे प्रभावी बनाकर लागू कर दिया गया तब से २६ जनवरी का दिन हमारे देश में एक राष्ट्रीय पर्वबन गया जिसे हम सब गणतंत्र दिवसके रूप में मनाते हैं और उन सभी कर्मठ लगनशील देशभक्तों के प्रति अपनी आदरांजलि एवं शुकराना अदा करते हैं जिन्होंने इसके निर्माण के लिये अपना तन-मन समर्पण किया तथा अथक परिश्रम से ख्याली मसौदे को अमली जामा पहनाया और इसमें अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी समावेश किया ताकि प्रत्येक नागरिक को हकों के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारी का भी अहसास हो तो वो अपने राष्ट्र को एक प्रगतिशील विकसित देश बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे सके तो आज का दिन अपनी उसी शपथ को दोहराने का हैं जो हम इस देश के नागरिक होते ही मन ही मन लेते हैं पर, उसको जीवन में न उतारते तो अब यही कोशिश हो कि हम अपने कर्तव्यों का भी समुचित ढंग से पालन करें जिससे कि पूरी दुनिया में हमारा नाम गूंजे और हम गर्व से कहे... सबसे आगे होंगे हिंदुस्तानी... जय हिंद... जय भारत... वंदे मातरम... :) :) :) !!!
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२६ जनवरी २०१६
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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