शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

सुर-२०१७-२० : आगाज़ नहीं... अंजाम से ‘लगन’ का पता चलता...!!!

साथियों... नमस्कार...

यूँ तो कहते कि ‘शुरुआत’ करने से ही किसी काम की ‘सफलता’ या ‘असफलता’ तय होती लेकिन ये उसी तरह आधा सच हैं जिस तरह किसी आधे भरे गिलास को कोई भरा तो कोई खाली बताता क्योंकि किसी भी कार्य को प्रारंभ करना जितना जरूरी होता उतना ही उसे अपने अंजाम तक पहुँचाना भी होता जो शुरूआती जोश से बेहतरीन तो हो सकता लेकिन जब तक उसका परिणाम न आ जाये ये नहीं कहा जा सकता कि उसके लिये किये गये आपके प्रयत्नों में कितना दम था और यही वो महत्वपूर्ण कारक होता जो आपके निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में सहायक सिद्ध होता...

किसी भी काम को जब तक पूर्ण लगन से नहीं किया उसका शत-प्रतिशत रिजल्ट नहीं मिलता इसलिये तो उसका श्रीगणेश करने के साथ-साथ ही दिन-प्रतिदिन उसमें अपना सौ-प्रतिशत देने की बात भी कही जाती जो यदि जरा भी कम हो तो सफलता भी उतनी ही संदिग्ध हो जाती इसलिये अंततः जब अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता तो हम किस्मत या भाग्य को दोष देते लेकिन इसकी तरफ देखना भूल जाते कि हमारे ही प्रयासों में कही कोई कमी रह गयी जिसकी वजह से मंजिल से पहले ही हौंसलों ने दम तोड़ दिया...

इसलिये ‘अंत भला सो सब भला’ का सूत्र बनाया गया शायद, जो बताता कि ‘अंजाम’ यदि सही हैं बिल्कुल वैसा जैसा कि हमने सोचा था तो फिर समझो कि हमने उसको पाने में कोई कसर नहीं छोड़ी... तो यदि कभी अपने किसी टास्क में फ़ैल हो जाए तो इस पर भी गौर फरमाइयेगा कि कहीं बीच राह में ही तो साँसे नहीं फूलने लगी थी या जोश का बेलून इतना तो नहीं फूला दिया कि वो पूरा फूलने से पहले ही फूट गया.... याने कि ‘बिगिनिंग’ और ‘एंडिंग’ दोनों ही महत्वपूर्ण और उससे भी अधिक बीच का वो माद्दा जो ‘टारगेट’ प्राप्त करने में मदद करता... :) :) :) !!!        
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२० जनवरी २०१७

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