मंगलवार, 3 जनवरी 2017

पोस्ट -२०१७ -०३ : “सावित्री बाई फुले : तुमको न हम भूले...!!!”


साथियों...

नमस्कार...

यूँ तो हमारे देश में वेद-शास्त्रों में विदुषी नारियों और ऋषिकाओं का उल्लेख हैं जिन्होंने बिना किसी शिक्षा के अपनी विद्वता से ही ऐसी धाक जमाई कि उस युग की संतति ने उनकी गाथा सदियों तक गई फिर भी जब देश में बदलाव की बयार आई और उस पर विदेशियों ने अपना कब्जा जमाया तब ऐसे समय में जिस तरह की शिक्षा व चेतना की आवश्यकता थी उसकी शुरुआत का श्रेय 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सतारा के गांव में जन्मी ‘सावित्री बाई’ को जाता हैं...

भले ही उनकी शादी नौ बरस की नादान उम्र में ही कर दी गयी लेकिन उनका तो जन्म ही इस नेक काज के लिये हुआ था तो ‘ज्योतिबा फुले’ ने सही मायनों में उनका अर्धांग बनकर उनको वो दिशा दिखाई जिस पर चलकर न केवल उन्होंने बल्कि उनके साथ-साथ उनका हाथ पकड़कर चलने वाली भारतीय नारियों ने भी अपनी मंजिल पाई और देश की पहली महिला शिक्षिका बन उन्होंने नारी शिक्षा की वो अलख जगाई कि उसकी बदौलत आज देश की बेटियों ने विदेशों तक में अपनी अपनी धाक जमाई...

आज सोचे तो असंभव-सा लगता कि वो दौर जबकि महिलाओं का घर से निकलना या घर के काम-काज के सिवा कुछ और करने के बारे में सोचना भी असंभव था उन्होंने देश की प्रथम महिला शिक्षिका का होने का गौरव हासिल किया और अपने ही बलबूते पर शिक्षा के मंदिरों याने कि विद्यालयों की स्थापना भी की जिसमें पढ़कर अनगिनत बालिकाओं ने अपनी ही हाथों से अपनी तकदीर लिखी और बरसों से पुरुषवादी समाज के लोगों द्वारा उनके मस्तिष्क में बिठाया गया उनका वो भ्रम भी टूटा कि उनको तो भगवान् ने सिर्फ चूल्हे-चौके के लिए बनाया गया हैं....

उन्होंने जो राह चुनी थी वो आसान नहीं थी मगर, अपने दृढ़ निश्चय से वे उस पथरीले रस्ते पर चलती रही यहाँ तक कि जब वे अपने ध्येय की प्राप्ति के लिये प्रतिदिन गाँव-गाँव जाती तो समाज के वे ठेकेदार या रूढ़िवादिता से ग्रस्त लोग न सिर्फ उनको हतोत्साहित करने का प्रयास करते बल्कि उन पर गंदगी भी फेंकते लेकिन उन्होंने तो ठान लिया था कि चाहे कोई मुश्किल आये वे ज्ञान की ज्योति से अपने देश की नारियों के अंतर्मन में फैला अंधकार मिटा वहां शिक्षा का ऐसा स्थायी दीपक जलायेगी जिससे आने वाली पीढियां भी रौशनी प्राप्त करेंगी और देखें आज हम भी तो उसी पॉवर हाउस से ऊर्जा प्राप्त कर रहे हैं तो ऐसे में विद्या रूपी ईधन के उस अक्षय स्त्रोत को नमन करना हमारा फर्ज़ बनता हैं... :) !!!     
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०३ जनवरी २०१७ 

कोई टिप्पणी नहीं: