शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

पोस्ट-२०१७-०६ : नमामि देवी नर्मदे-सेवा यात्रा...!!!












साथियों...
नमस्कार...

नमामि देवी नर्मदे-सेवा यात्रा...
आज नरसिंहपुर में आगमन हुआ...!!!
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वेद-शास्त्रों में वर्णित हैं कि---
भागीरथी गंगा में
नहाने से जो पुण्य मिलता हैं।
पुण्यसलिला माँ नर्मदा के
दर्शन मात्र से वही प्राप्त होता हैं॥
इतनी महत्वपूर्ण हैं जीवनदायिनी ‘रेवा’ और हम सब परम भाग्यशाली जो न केवल इसकी पवित्र भूमि में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ बल्कि इसके अमृतमयी जल से ही अपना जीवन-यापन कर रहे हैं । यूँ देखा जाये तो माँ नर्मदा म.प्र. की लाइफ लाइन हैं और अब जबकि इसका जरूरत से अधिक दोहन हो रहा हैं तो इसके सरंक्षण की अत्यंत आवश्यकता हैं क्योंकि इससे खिलवाड़ एक तरह से खुद के जीवन से ही खेलना हैं जो आगे चलकर हमारे लिए जानलेवा साबित हो सकता हैं ।
ऐसे में हमारा भी कर्तव्य बनता कि हम इसके सरंक्षण और इसे प्रदूषण मुक्त बनाने में अपना योगदान दे इसी उद्देश्य से म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री ने ११ नवंबर को 'नमामि देवी नर्मदे-सेवा
यात्रा' का शुभारंभ किया और आज इसका नरसिंहपुर जिले के चिनकी घाटपर आगमन हुआ तो पतंजलि महिला योग समिति की तहसील प्रभारीके रूप में  हमने भी चिनकी पहुंचकर इस सेवा यात्रा की अगवानी कर पुनीत यज्ञ में अपनी आहुति देकर पुण्य लाभ प्राप्त किया ।
मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की संकल्पना हैं *नमामि देवी नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा* जिसे महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानन्द जी महाराज का मार्गदर्शन और समस्त ऋषि, तपस्वी, साधु-संतों के अतिरिक्त समस्त नागरिकों का सहयोग प्राप्त हैं और यह एक ऐसा आयोजन हैं जिसमे समाज व सरकार साथ-साथ कदम मिलाकर चल रहे हैं । इसका यात्रा के कुछ मुख्य उद्देश्य भी निर्धारित किये गए हैं, जो इस प्रकार हैं---
१. नर्मदा नदी के संरक्षण एवं नदी में उपलब्धए संसाधनों एवं समुचित उपयोग हेतु जन जागरण।
२. नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रों में वानस्पतिक आच्छादन बढ़ाने एवं मृदा क्षरण को रोकने हेतु वृहद स्तर पर पौधरोपण।

३. नदी की पारिस्थितिकीय में सुधार हेतु गतिविधियों का चिन्हांकन एवं उनके क्रियान्वयन में स्थानीय जन समुदाय की जिम्मेदारी तय करना।

४. टिकाऊ एवं पर्यावरण हितेषी कृषि पद्दतियो को अपनाने हेतु जन-जागरण।

५. नदी में प्रदूषण के विभिन्न कारकों की पहचान एवं उनकी रोकथाम हेतु उपाय व जन-जागरण

६. नदी के जलभरण क्षेत्र में जल संग्रहण हेतु उपाय एवं जन-जागरूकता।

७. जैविक कृषि को बढ़ावा देना

८. नर्मदा तट पर दोनों और सघन वृक्षारोपण

९. तटों पर विसर्जन कुंड निर्माण

१०. सहायकों नदियों का पुनर्जीवन

नर्मदा हम पर नहीं हम उस पर आश्रित हैं इसलिए यह एक राजनितिक नहीं बल्कि जन अभियान हैं, जिसमें हम सबको अपने-अपने हिस्से की आहुति देना हैं तो हम सब आगे बढ़कर इसका हिस्सा बने और केवल नर्मदा ही नहीं हर एक नदी-तालाब, पर्यावरण, वन-संपदा, जानवर आदि के सरंक्षण हेतु अपने स्तर पर प्रयास करे... क्योंकि इससे अधिक देरी हमारे सर्वनाश का कारण बन सकती हैं... प्रकृति की चेतवानी सुने और आगे बढ़े... अंत में माँ नर्मदा को नमन... :) :) :) !!!
"त्वदीय पाद पंकजम, नमामि देवी नर्मदे"
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री

नरसिंहपुर (म.प्र.)
०६ जनवरी २०१७

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