साथियों... नमस्कार...
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के संस्थापक और दुनिया के
रईसों में गिने जाने वाले ‘बिल गेट्स’ ने कभी कहा था कि---
“गरीब पैदा होना आपका दोष नहीं है
पर, गरीब मरना आपका दोष है”
वाकई हम कहाँ, किस रूप में और किस तरह जनम लेंगे
ये हमारे हाथ में नहीं लेकिन हम अपना जीवन किस तरह बिताते हैं और किस तरह से इस
दुनिया में अपनी छाप छोड़ के जाते हैं ये पूरी तरह हम पर निर्भर करते हैं और कुछ
लोग होते हैं जो इन पंक्तियों को चरितार्थ कर इन्हें मायने देते हैं...
ऐसे ही महान अविष्कारक और परोपकारी इंसान ‘लुईस
ब्रैल’ ने आज से लगभग २०० साल पहले १८०९ में फ़्रांस के एक साधारण परिवार में जन्म
लिया और बाल्यकाल में एक दुर्घटनावश उनके नेत्रों की ज्योति चली गयी लेकिन शायद ये
विधि का विधान ही था कि उन नन्ही उम्र में जो लगभग तीन वर्ष की थी एकाएक उनकी
रंगीन दुनिया रंगहीन होकर अंधकारमय हो गयी जहाँ सिवाय कालिमा के कुछ भी न था पर,
वो बालक इस दुर्घटना से हिम्मत न हारा और उसने एक भाषा बनाने का प्रयास किया जिससे
उन जैसे दृष्टिहीन भी न सिर्फ पढ़-लिख सके बल्कि आत्मनिर्भर होकर स्वाबलंबी जीवन जी
सके...
हालाँकि ये सब इतना आसन न था और न ही एक दिन में
ही हुआ पर, उन्होंने ६ बिन्दुओ के कोड पर आधारित एक भाषा का अविष्कार कर ही लिया
जिसे आज हम उनके नाम से ‘ब्रेल लिपि’ कहते हैं जिसने आँखों के बिना भी लोगों को
पढने का हथियार दिया जबकि कितने आँख होते और सब तरह की सुविधाओ के होते हुये भी
नहीं पढ़ पाते पर, उन्होंने सुविधाहीन होते हुये भी न केवल खुद का बल्कि आने वाली
पीढियों तक का जीवन संवारा तो फिर ऐसे परोपकारी व्यक्तित्व को कोटि-कोटि प्रणाम तो
बनता ही हैं... :) :) :) !!!
_____________________________________________________
© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०४ जनवरी २०१७
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें