सोमवार, 30 जनवरी 2017

सुर-२०१७-३० : मार कर भी उसको... न रोक सके उसके विचारों की आंधी... जिसे हम कहते हैं ‘महात्मा गाँधी’...!!!

साथियों... नमस्कार...


जब भी महत्मा गांधी की बात हो तो अधिकांश लोगों को उनके खिलाफ़ ही बोलते सुनती हूँ जिसके समर्थन में उनके गिने-चुने तर्क होते हैं जिनसे अब तो सब वाकिफ़ हो चुके लेकिन इन सबके बावजूद भी ये अकाट्य सत्य कि जितना उनको दबाने या मारने का प्रयास किया गया वो उतनी ही तेजी से उभरे हैं कि उनके अंदर सत्य-अहिंसा परमार्थ सेवा में बिताये गये एक लम्बे तपस्वी जीवन की संचित शक्ति थी जिसने उनको तमाम तमाम आलोचनाओं और असंख्य विरोधियों के बाद भी उतनी ही मजबूती से अकेले अपने ही दम पर खड़े रखा ऐसे में वो लोग जो अपने जीवन में एक नियम या संकल्प दो दिन भी नहीं निभा पाते वो किस तरह से जानेंगे कि एक व्यक्ति ने किसी तरह विपरीत परिस्थितियों में गुलामी की जंजीरों में जकड़े होते हुये भी अपना सारा जीवन इन सदाचारों को समर्पित कर गुज़ारा उन्होंने सिर्फ हमवतनों के लिये ही आज़ादी का नारा बुलंद नहीं किया बल्कि दक्षिण अफ्रीका में भी जब रंगभेद से उपजा दर्द देखा तो संघर्ष का बीड़ा उठाया क्योंकि उनकी रगों में संवेदनाओं का लहू बहता था जो परपीड़ा से सहज ही द्रवित हो जाता था शायद, तभी उन्होंने कुछ गलत निर्णय ले लिये जो अपने ही देश के विरुद्ध साबित हुये जिसके कारण ‘नाथूराम गोडसे’ और उसके समर्थकों की जमात ने जनम लिया और जिस तरह चाँद के पाक-साफ़ अक्स पर दाग़ कुछ उसी तरह से उनके उजले जीवन चरित्र पर भी बदनुमा धब्बे लगा दिये जिसकी वजह से जो लोग इतिहास पढने की जहमत नहीं उठाते या जिनको ये जानने कि कोई गरज नहीं कि ‘गांधी जी’ के दुसरे पक्ष पर भी नजर डाल ले वो अंधों की तरह उसका हिस्सा बन वही पाठ दोहराता जो उसे रटाया गया लेकिन स्वविवेक से जो काम लेता वो हंस की तरह नीर-क्स्शीर को पृथक कर सार-तत्व ग्रहण करता

दुनिया में कोई भी व्यक्ति या चरित्र पूरी तरह स्वच्छ या बेदाग़ नहीं लेकिन हमारी मानसिकता कि हम चाहे कुछ भी हो लेकिन जन-नायकों से ये उम्मीद करते कि वो एकदम साफ़-सुथरे हो तभी तो जब किसी के जीवन में ऐसा कोई भी प्रसंग पाते जिससे उसकी छवि धूमिल होती तो उसके किये-कराये को भी भूल जाते कुछ ऐसा ही इस मामले में भी हुआ कि जब उनके विपरीत विचारधारा पनपी तो वो जो उस पक्ष में थे उन्होंने सारी नकारात्मक बातों का इतना अधिक प्रचार किया जिसमें उनकी सकारात्मक बातें, उनके त्याग के किस्से, उनकी तपस्या का बखान और उनकी अंग्रेजों के खिलाफ़ सत्य-अहिंसा-सत्याग्रह के हथियारों से लड़ी गयी स्वतंत्रता की जंग को भी कमतर आँका गया या यूँ बोले कि इस पलड़े को थोडा हल्का करना का प्रयास किया गया क्योंकि जिसने अपने जीवन में कुछ भी न किया हो उसे दूसरों के किये की खिंची बड़ी लाइन को छोटा करने का यही सबसे आसन रास्ता लगता तो गोडसे की विचारधारा से प्रभावित लोगों ने एकतरफा प्रचार से उनके विरुद्ध माहौल तैयार किया तो जिनको अपने जेहन को तकलीफ देने की आदत नहीं या जिनको दूसरों के किये की तारीफ करना पसंद नहीं या जिनको नायक को खलनायक साबित करने में ही आनंद आता वो सब एक तरफ होकर एकतरफ़ा बातें बनाने लगे मगर, ये उसके सत्कर्मों का ही प्रभाव कि इन बातों ने उसकी लोकप्रियता में और इज़ाफा किया उसके कद को आदमकद बना दिया

उन्होंने अपने जीवन से ये सिद्ध कर दिया कि “तुम मुझे प्रेम करो या नफरत दोनों ही मेरे हित में हैं क्योंकि दोनों ही तरीके से मैं युम्हारे जेहन में रहूँगा” मुझे लगता ये किसी के अमर होने का कारगर तरीका कि वो आपके दिलों-दिमाग पर इस कदर कब्जा जमा ले कि चाहे फिर प्यार से या फिर घृणा से आप उसे ही याद करो तभी तो उनकी जयंती हो या पुण्यतिथि हर कोई उनका स्मरण करता कि उस हस्ती ने पिस्तौल से निकली गोली से जो कि धोखे से चलाई गयी भले ही अपने देह त्याग दी लेकिन अशरीरी होकर वो सूक्ष्म रूप से सबके भीतर विराजमान हो गये जहाँ से उन्हें निकाल पाना नामुमकिन और यही उनके किरदार की जीत हैं... यदि आप उनके किन्ही गलत निर्णयों की वजह से उनके द्वारा किये गये महान क़ाज को बिसरा सकते हो तो फिर ‘रावण’ के किन्ही अच्छे कर्मों की वजह से आपको उसे भी पूजना चाहिये परंतु आप ऐसा नहीं करते क्योंकि उसके गलत कार्यों का पलड़ा भारी ठीक उसी तरह इनके सही कामों का पलड़ा भरी जो उनके लाखों-करोड़ों विरोधियों के बाद भी सदियां उनको दोहराती, इतिहास में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित उनकी कहानी अमिट जो उनको ‘महात्मा’ का दर्जा दिलाती... पिता बनाना आसन लेकिन ‘राष्ट्रपिता’ तो जनता ही बनाती तो आज उस देशभक्त को उसके शहीद दिवस पर ये शब्दसुमन समर्पित करती हूँ... और जो अपनी देशभक्ति का प्रमाण दिये बिना उनकी खिलाफ़त करते उनसे यही कहना चाहती कि सिर्फ बुराई नहीं अच्छाई का भी आकलन करो... फिर तोलमोल कर सच बोलो... तो यही कहोगे ‘साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल’... :) :) :) !!!          
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

३० जनवरी २०१७

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