शनिवार, 14 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२८५ : वफ़ा क्या हैं ???



जैसे ही फूल ने भंवरे को अपनी तरफ आते देखा तुरंत कहा, 
अभी तो तुम उस फूल पर थे फिर इधर क्यों आ रहे ?

भंवरा गुनगुनाया...
आवारा भंवरा हैं मेरा नाम
कभी इस डाल, कभी उस डाल
यही तो हैं यही काम

फूल ने उसे पुनः रोकते हुये कहा,
तुम्हारी यही बात तो मुझे नहीं भाती, वफ़ा की रीत तुमको नहीं आती

सुनकर उसकी ये बात भंवरा हिचकता हुआ बोला,
वफ़ा... वो क्या होती हैं भला ???  

फूल ने बताया उसे कुछ यूँ समझाया...

●●●
न पूछ मुझसे
कि वफ़ा क्या हैं ???

सांस बनकर
समा जाये जो सीने में
रहे हरदम साथ
ये दिलदार की वो अदा हैं

इक हूक सी
उठती रह-रह कर
अंतर में कहीं
ये वही रूहानी सदा हैं

मिटा के ख़ुदी
फ़ना कर दे अपना आप
इश्क़ की ख़ातिर
आशिकी की ये वो इन्तेहाँ हैं

हो आज़माइश
कितनी भी कठिन
या बिछे हो राह में कांटे
झुकने न दे कहीं ये वो प्रेरणा हैं

करें इबादत
सनम के अपनी
धड़कनों में गूँजे उसी का नाम
प्रेमियों ने माना इसे खुदा हैं ।
-----------------------------------●●●


सुनकर उसकी ये बात भंवरा ने उसे आश्वस्त किया, समझ गया मैं तुम्हारे मन की बात, सदा रहेगा हमारा साथ... :) :) :) !!!
        
_______________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१४ अक्टूबर २०१७

कोई टिप्पणी नहीं: