सोमवार, 16 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२८७ : देश का विकास वहां रुका... कोई भूखा बच्चा जहाँ सो रहा...!!!



१६ अक्टूबर‘विश्व खाद्य दिवस’ के रूप में मनाया जाना कहीं न कहीं ये इंगित करता कि इस तकनीकी युग में भी 'रोटी' जीवन की प्रथम आवश्यकता हैं और पेट भरा न हो तो कोई सुख, कोई सुविधा हमको नहीं भाती कि मन हमें बार-बार भूख की तरफ ले जाता इसलिये कहा गया हैं 'भूखे पेट भजन न होये गोपाला' कि इस अहसास के आगे ईश्वर की भक्ति भी निरर्थक लगती इसलिये अपराधों की एक वजह में इसे भी शामिल किया गया हैं । जिस तरह से हमारा देश जनसंख्या में नूतन कीर्तिमान स्थापित करने में लगा उस तरह से इस समस्या का ग्राफ भी तेजी से ऊपर जाता जा रहा जिसका प्रमाण हाल ही में आई 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' की ताजा रिपोर्ट हैं जिसमें भारत को शानदार सौंवा स्थान प्राप्त हुआ हैं वो भी तब जबकि फिल्मों, सीरियलों, सोशल मीडिया में भुखमरी कहीं नजर ही नहीं आती जिधर देखो तो लगता भारत बड़ा खुशहाल देश हैं अगर, कोई समस्या हैं तो केवल देश की सरकार जिसका नेतृत्व गलत हाथों में दे दिया गया तो लोग ढूंढ-ढूंढकर और न मिले तो फोटोशॉप से खुद न्यूज़ बनाकर गरियाने का कोई मौका नहीं छोड़ते याने कि उनके हिसाब से ये सब मुद्दे किसी बहस तो छोड़िए लिखने के भी काबिल नहीं बस, सरकार बदल जाये तो देश खुशहाल हो जायेगा । दूसरी तरफ अघाई हुई औरतों को देखो तो लगता देश की मुख्य समस्या केवल स्त्री का शोषण और उसको स्वतंत्र अधिकार न देना हैं जिसके लिए वे जी-जान से लगी पड़ी तो ऐसे में इन जमीनी हकीकतों पर नजर जाए किसकी कि सब आसमानी जहाज उड़ाने में व्यस्त तो जो लोग नीचे या परेशान उनका हाल न बदलने वाला कि उनको सुनने या उनकी लिखने वाले कहीं नहीं हैं यहां तो हर तरफ सिर्फ वर्तमान सरकार और पुरुषों के खिलाफ़ मोर्चा खोले बुद्धिजीवियों की बड़ी-बड़ी फौजें हैं जो मुस्तैदी से अपने काम में जुटी कि कुछ को तो इस कार्य के लिए नियुक्त ही किया गया तो वे इस तरह की जानकारियों को सामने आने ही नहीं देती और जो आ जाये तो उसको ठीकरा वर्तमान प्रधानमंत्री के सर पर फोड़ देती कि उनकी वजह से देश की हालत खराब हो रही हैं

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) ने 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स, 2017' जारी किया जिसकी रैंकिंग के मुताबिक भारत में भुखमरी की स्थिति बहुत ही गंभीर है क्योंकि इसमें हमें 100वीं जगह प्राप्त हुई हैं और 'ग्लोबल इंडेक्स स्कोर' ज़्यादा होने का मतलब हैं कि हमारे देश में भूख की समस्या सबसे अधिक है एवं जिन देशों का स्कोर हमसे कम है वहाँ भूख की समस्या उतनी चिंताजनक नहीं हैं । 119 देशों की सूची में भारत का 100वें स्थान होना शर्मिंदगी का विषय हैं साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में 39 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं जबकी आबादी का 15.2 प्रतिशत हिस्सा कुपोषण का शिकार हैं जिसके आधार पर भारत का स्कोर 28.5 है जो विकासशील देशों की तुलना में काफी अधिक है । भूख का जहाँ तक सवाल है तो ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि एशियाई देशों में सबसे ज़्यादा बुरी हालात ‘पाकिस्तान’ और ‘भारत’ की हैं जबकि भारत के दूसरे पड़ोसियों की स्थिति बेहतर है जो इस इंडेक्स में ऊपर हैं मिसाल के तौर पर नेपाल 72वें नंबर है जबकि म्यांमार 75वें, श्रीलंका 84वें और बांग्लादेश 90वें स्थान पर है । 'ग्लोबल हंगर इंडेक्स' वास्तव में अलग-अलग देशों में लोगों को खाने की चीज़ें कैसी और कितनी मिलती हैं उसे दिखाने का एक सर्वेक्षण आधारित साधन है जिसका सूचकांक प्रतिवर्ष ताज़ा आंकड़ों के साथ जारी किया जाता है तथा इस सूचकांक के ज़रिए विश्व भर में भूख के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान की उपलब्धियों और नाकामियों का भी आंकलन किया जाता हैं ।

इस हंगर इंडेक्स को नापने के चार मुख्य पैमाने हैं...

अल्पपोषण’ (Undernourishment)
लंबाई के अनुपात में कम वज़न’ (Child Wasting)
आयु के अनुपात में कम लंबाई’ (Child Stunting ) तथा
बाल मृत्यु दर’ (Child Mortality)

इस तरह देखें तो हम खुद को बहुत नाजुक स्थिति में पाते कि जनसंख्या तो हैं लेकिन कुपोषण युक्त शिशुओं और बच्चों की संख्या उनमें अधिक जो किसी भी देश का सर नीचा करने पर्याप्त उस पर जब वो देश कृषिप्रधान हो तो दर्द अधिक बढ़ जाता हैं कि विकास जिसकी हम बात करते जिसे हम खोजते फिरते दरअसल वो भुखमरी से मर रहा जब तक उसे भोजन न मिलेगा उसकी वृद्धि किस तरह होगी ऐसे में यदि हम 'जीरो इंडेक्स' के टारगेट को पाना चाहते हैं तो हमें संकल्प लेना होगा कि गैर-जरूरी मुद्दों और फिजूल बातों में वक़्त जाया न कर या सोशल मीडिया में एक-दूसरे पर कीचड़ न उछालकर हम अपने किसानों की बेहतरी पर विचार करें ऐसे शोध करे जो इन समस्याओं का निराकरण करे क्योंकि सिर्फ सरकार को कोसना ही हमारा काम नहीं देश की छवि बदलने उसे विश्व मानचित्र में ऊंचा स्थान दिलाने और विकासशील राष्ट्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते देखने के लिए धरातल पर काम करना होगा तभी वो भारत बनेगा जैसा हम देखना चाहते कि यही भूखे मरते बच्चे ही तो भावी कर्णधार जिन्हें बचाना फिर देश भी स्वतः ही आगे बढ जायेगा तो लिख-लिखकर क्रांति करने वाले इन विषयों पर भी अपनी कलम चलाये ।

जय हिंद... जय भारत... :) :) :) !!!
       
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१६ अक्टूबर २०१७

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