शनिवार, 7 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२७८ : लघुकथा : जो अपने बाप-भाई की नहीं हुई... .....वो किसी की क्या होगी ???


मैं आखिर बार बोल रहा हूँ तुझे ‘समीर’ इसे लिख के रख ले जो अपने बाप-भाई को छोड़कर तेरे साथ भागकर शादी कर रही हैं वो एक दिन तुझे भी छोड़ देगी फिर भी तुझे वही पसंद तो कर ले ब्याह हम उसके माँ-बाप की तरह नहीं जो तेरा साथ नहीं देंगे लेकिन तुझे समझना भी तो हमारा फर्ज़ हैं इसलिये कहा ऐसा बोल अनमने मन से ‘समीर’ के पिता ने उसे ‘देबीना’ से शादी की इजाज़त दी

अभी शादी को एक साल ही बीता था कि ‘देबीना’ ने महसूस किया कि शादी के पहले और बाद के ‘समीर’ में जमीन-आसमान का अंतर हैं वो जैसा दिखाई देता बिल्कुल वैसा नहीं हैं कहने को तो एकदम हंसमुख, व्यावहारिक, जिंदादिल और आधुनिक हैं मगर, सिर्फ़ दूसरों के लिये उसके लिये तो बेहद पारंपरिक, औपचारिक, नीरस और दकियानूस जो शादी के पूर्व तो उसके मॉडर्न लिबास व नौकरी में सहकर्मियों संग मेल-जोल को सहज लेता था लेकिन शादी होते ही उसने बात-बात पर टोका-टाकी शुरू कर दी परिधान में भी साड़ी या सलवार सूट ही पहनने को कहा साथ ही सहकर्मियों से मिलना-जुलना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जिसे उसने सहन कर लिया लेकिन, जब उसने उसके उपर हाथ उठाना भी शुरू कर दिया तो हारकर उसने उसे छोड़ने का मन बना लिया
 
जैसे ही उसने ‘समीर’ को अपना फ़ैसला सुनाया तो वो विद्रूप हंसी हंसते हुये बोला, सही कहा था मेरे पिताजी ने कि जो अपने बाप-भाई की नहीं हुई वो तेरी भी नहीं होगी पर, मैंने उनकी न सुनी उसी का नतीजा कि आज ये सुन रहा हूँ तुम्हें तो आदत हैं छोड़ने की पर, हमारे यहाँ ऐसा नहीं होता और इसका अंजाम तुम्हें अकेले ही भुगतना होगा क्योंकि मुझे तो कई मिल जायेंगी पापा के दोस्त तो आज भी अपनी बेटी के लिये इंतजार कर रहे पर, ध्यान रखना तुमसे कोई शादी नहीं करेगा इसलिये एक बार ठंडे दिमाग से सोच लो... उसका इतना कहना था कि वो चीखी, ‘सुन लो अब इन बेकार के तर्कों से तुम मुझे न तोड़ पाओगे क्योंकि अपने पिता और भाई को मैंने इसलिये छोड़ा कि उन्हें मेरे हर निर्णय ही नहीं अपनी तरह से जीवन जीने से भी ऐतराज़ था और तुम्हें भी इसलिये छोड़ रही और आगे भी किसी को ये अधिकार न दूंगी कि वो मेरी जिंदगी के फैसले खुद करे क्योंकि मैं कोई खूंटे से बंधी गाय नहीं मुझे भी जीने का हक़ हैं...’ :) :) :) !!!   
           
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०७ अक्टूबर २०१७

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