बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२८९ : नरक से मुक्ति देती... ‘नरक चतुर्दशी’...!!!



स्वर्ग-नर्क की कल्पना सत्य हो या महज भ्रम लेकिन बचपन से ही ये सुनते आये कि ‘नरक चौदस’ के दिन यदि सुभ सूर्योदय के पूर्व स्नान किया जाये तो इंसान नर्क में नहीं जाता और इस तरह की मान्यतायें या कथाएं हर तीज-त्यौहर के साथ जोड़ने का उद्देश्य केवल इतना हैं ही कि हम उनके प्रति लापरवाही न बरते न कि अंधविश्वास को बढ़ावा दे इसलिये हम सबने कभी न कभी अपने घरों में ये बात सुनी होगी और इसे नरक चतुर्दशी कहने की कथा ये बताती कि आज के दिन भगवान् श्रीकृष्ण ने ‘नरकासुर’ का वध कर उसकी कैद से उन्हीं सोलह हजार राजकुमारियों को छुड़ाया था जिनकी वजह से सब ये कहते कि उनकी तो सोलह हजार रानियाँ थी जबकि इन कन्याओं को छुड़ाने के बाद कोई इन्हें अपनाने तैयार नहीं था और वे सब कृष्ण पर मोहित थी तो उनसे कोई दूसरा रिश्ता जोड़ना भी संभव नहीं था अतः उनकी इच्छानुरूप श्रीकृष्ण ने उन सबको ही अपनी अर्धांगिनी होने का वरदान दिया ये जानते हुये भी इसकी वजह से नासमझ उनके चरित्र पर उँगलियाँ उठाकर उन पर बार-बार प्रश्नचिन्ह लगायेंगे तो उन्होंने सरे इलज़ाम अपने सर लेकर उन सबको हर तरह के लांछनों से भी बचा लिया

एक मान्यता ये भी हैं कि आज के दिन भगवान हनुमान का अंजनी माता के गर्भ से जन्म हुआ था तो आज के दिन कुछ स्थानों पर ‘हनुमान जयंती’ भी मनाई जाती हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिये ‘हनुमान चालीसा’ या ‘बजरंग बाण’ का पाठ किया जाता हैं और इसे ‘रूप चतुर्दशी’ कहने के पीछे भी बड़ी रोचक कहानी हैं कि एक ‘हिरण्यगर्भ’ नाम के ऋषि थे जिन्होंने तपस्या से अपने शरीर को इतना गला लिया कि वो लगभग सड़ गयी और देह नाममात्र की बची तब उनकी ऐसी स्थिति देखकर नारद जी ने उन्हें उपाय बताया कि यदि वो आज के दिन सुबह उठकर देह पर लेप मलकर नहाये तो उनका शरीर पूर्ववत हो जायेगा तो उन्होंने वैसा ही किया और ‘छोटी दीपावली’ कहने का कारण ये हैं कि इसे दीपावली के एक दिन पूर्व उतने ही उत्साह से दीप मालाएं जलाकर मनाया जाता हैं
                 
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१८ अक्टूबर २०१७

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