बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२७५ : होते अगर जानवर वोटर... फिर न होता उनका यूँ शोषण...!!!



आज ‘वर्ल्ड एनिमल डे’ पर जानवरों ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई जिसमें लोमड़ी कुछ यूँ फरमाई...

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काश, होता...
हमारा भी कोई संविधान
होता हमको भी वोट देने का अधिकार
तो न फिर होता हमारा शोषण
न मारता, न करता कोई हमारा दोहन
होते हमारे लिये भी कानून
देते जो हमको मनमाफ़िक सरंक्षण
कहने को तो बनते यहाँ बहुत पशु प्रेमी
पर, न किसी ने हमारी दिल की बात समझी
सबने हमें समझा बस, मूक जानवर
अपनी जरूरतों के अनुसार किया हमारा पालन
मगर, न हमको दिया हमारा हक़
छीने हमसे हमारे रहने के भी सब स्थल
न बचे अब पेड-पौधे, न ही खोह-गुफा और जंगल
स्वार्थी इतना बना गया इंसान कि
हमारे वज़ूद के हिस्सों का सौदा तक किया
हत्यारों के हाथों हमको बेच दिया
कितनी तो हमारी जातियां हो चुकी विलुप्त
अब जो बची हैं गिनी-चुनी चंद शेष
कहीं ये भी न चढ़ जाये इन जालिमों की भेंट   
इनको अगर हैं निर्मोही लोगों से बचाना
हमको पड़ेगा इन सबसे दूर, बहुत दूर जाना
तो आओ हम आज ये शपथ ले...
जब तक न हमें कुदरत से बख्शी गयी जमीन मिले
सौंपी जो ईश्वर ने वो सभी नेमतें मिले
न आयेंगे यहाँ हम वापस दुबारा
देखने नरक-सा ये वीभत्स क्रूरतम नज़ारा              
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सुनकर उसकी बात सब ने हाँ में हाँ मिलाई... और यही शपथ दोहराई... चलो चले यहाँ से हम सब वापस उस भगवान के पास जिसने इन्सान को बना दिया हैवान भूल गया वो सह-जीवन का पाठ तो ऐसे में अब न हमें यहाँ रहना... घुट-घुट कर जीना खुद को घटते हुये देखना... और सब एक साथ मिलकर चले गये अनंत में जहाँ से फिर न लौटता कोई... ये तो महज़ एक शब्द चित्र पर, हो सकता ये वास्तव में घटित तो उससे पहले जागो, जानवरों को न सिर्फ मूक पशु मानो... मित्र हमारे ये, काम आते ये... इनके बिना न मुमकिन गुज़ारा... इन्हें बचना मतलब खुद को बचाना... :) :) :) !!!
  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०४ अक्टूबर २०१७


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