शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२९२ : भाई आये जब बहन के घर... मने दूज मिले मनचाहा वर...!!!



हर व्यक्ति 'यमराज' के नाम से ही डरता हैं इसलिये न तो उन्हें याद करता और न ही उनका नाम ही सुनना चाहता कि मृत्यु के देवता होने मात्र से वे सबके लिए भय का पर्याय बन गये लेकिन, उनका भी तो परिवार हैं जहां उनकी एक प्यारी जुड़वां बहन 'यमी' हैं जो धरती पर 'यमुना' बन सबको जीवन दान देती याने कि जहां भाई ऊपर आसमान में बैठकर दूसरों के प्राण हरने का काज करते वहीं नीचे जमीन पर लोगों की प्राण रक्षा करती कितना विरोधाभास हैं एक ही कोख़ से एक साथ जन्मे दो सगे भाई-बहनों में फिर भी उनके मध्य परस्पर प्रेम-स्नेह हैं जो उन्हें आपस में जोड़कर रखता और जब भी एक को दूसरे की याद सताती वो उससे मिलने चला आता फिर चाहे कितनी ही लम्बी दूरी क्यों न पार करनी पड़े

ऐसा ही हुआ जब एक बार 'यम' के मन में 'यमी' से मिलने की इच्छा जागृत हुई तो वो झट उसके घर पहुंच गये जब 'यमी' ने उनको देखा तो खुशी से झूम उठी झट उनका स्वागत-सत्कार किया और मंगल तिलक लगाकर उन पर अपने प्रेम की वर्षा की तो फिर उन्होंने में आशीष देने में कोई कमी न छोड़ी जिसे देखकर 'यमी' ने कहा, कि हर बहन के भाई की आप रक्षा करना और सब पर कृपादृष्टि बनाये रखना किसी को भी आपकी वजह से असमय ही मौत के मुंह में न जाना पड़े तो उन्होने उसे आश्वस्त करते हुए ये वचन दिया कि हर भाई-बहिन को आशीर्वाद देता हूँ कि उनका साथ हमेशा बना रहे और किसी को भी अनजाने में भी असमय मेरी वजह से विछोह का गम न सहना पड़े

ये दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि का था तो उस दिन से ही इसे परंपरा का हिस्सा मानते हुए इस दिन को 'यम द्वितीया' या 'भाई दूज' कहा जाने लगा जिसे दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता और इस दिन हर भाई अपनी बहन से मिलने उसके घर जाता जो ये दर्शाता कि भारतीय संस्कृति में हर रिश्ते को मान-सम्मान दिया गया हैं उनके लिए दिन विशेष भी निर्धारित किये गए कि व्यस्ततम जीवन से हम इन अनमोल पलों के लिए थोड़ा ही सही समय निकाल सके ताकि हमारे रिश्तों को भी प्रेम से रिचार्ज किया जा सके जो आने वाले दिनों में हमारे संबंधों को अधिक प्रगाढ़ बनाये आज के इस मशीनी युग में तो ये उत्सव अधिक प्रासंगिक हो गये हैं कि आदमी के पास खुद के लिए वक़्त नहीं ऐसे में दूसरों के लिए किस तरह से समय निकाले तो यही वो कीमती पल होते जिनमें हम फुर्सत के चंद लम्हें अपनों के लिए निकाल लेते ।
       
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२१ अक्टूबर २०१७


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