रविवार, 15 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२८६ : 'कलाम' को सलाम...!!!



हे कलाम,
आपको मेरा सलाम
भूलेंगे न हम
किये जो आपने अहसान

लेकर जन्म गरीबी में भी
कभीं न हालातों को दोष दिया
हर मुश्किल को पार कर
बन वैज्ञानिक परिवार को नाम दिया

‘अग्नि’ मिसाइल बनाकर तुमने
‘विश्व मानचित्र’ में देश को गौरवान्वित किया
‘मिसाइल मेन’ कहकर फिर हमने
आपको मान-सम्मान दिया

आपकी सादगी, समर्पण देखकर
‘राष्ट्रपति’ पद पर फिर विराजमान किया
सख्त अनुशासन और कार्यकुशलता से
सबका दिल आपने जीत लिया

बने रहे आजीवन भारतीय
अल्पसंख्यक होने का न अनुचित लाभ लिया
ऊपर उठकर मज़हब से आपने
‘इंसानियत’ को एक नया नाम दिया

कर्मयोगी बन कर्मरत रहे सतत
कर्मभूमि पर ही प्राण को त्याग दिया
ज्यों उतार दे लिबास कोई
यूँ क्षण में देह का चोला उतार दिया

जीते-जी न लिया हक़ से ज्यादा
बाद मरने की भी सब जन्मभूमि को समर्पित किया
करते रहेंगे नमन सदा आपको
भारत माँ ने हमको ऐसा अनोखा लाल दिया

जिसने निज स्वार्थ पद लाभ छोड़कर
महज़ नैतिक कर्तव्यों का ही सदैव पालन किया
कर पाए अनुशरण आपके विचारों का
ऐसा हमने मन में संकल्प लिया

आज जन्मतिथि पर आपकी
हमने आपको याद किया...

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१५ अक्टूबर २०१७

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