सोमवार, 23 अक्तूबर 2017

सुर-२०१७-२९४ : पुस्तक समीक्षा : “जिंदगी बॉलीवुड डॉट कॉम” लेखक – तेजराज गहलोत



कहते हैं आत्मा Amar हैं
जबकि, आत्मा Akbar भी हैं
और आत्मा Anthony भी
-Tej@अंतरात्मा_की_आवाज़              
  
फेसबुक के फाउंडर ‘मार्क जुकरबर्ग’ को समर्पित यह एक अनोखी किताब हैं जिसे लिखने वाले भी उतने ही अनोखे हैं जितना इसका शीर्षक जो अपने आप में ही दर्शाता कि लिखने वाला फिल्मों का बेइंतेहा शौक़ीन हैं इतना कि उसके सपनों में भी नायक-नायिकायें ही आते हैं और उसकी हर एक पोस्ट इनके ही इर्द-गिर्द घुमती हैं जिनमें ज्यादातर मुख्य किरदार में रजत पर्दे की कोई हीरोइन ही होती हैं कि लिखने वाला भी किसी हीरो से कम नहीं जिसे हिंदी फिल्मों ने इस कदर अपनी गिरफ्त में किया कि उनका लिखना-पढ़ना, सोचना-समझना सब उस 70mm के पर्दे पर ही सिमट गया और इस तरह उन्होंने अपनी खुद की ही एक अलग फिल्म बना ली जिसे नाम दिया “जिंदगी बॉलीवुड डॉट कॉम’ की इनकी ये फिल्म अपनी खुद की जिंदगी के अनुभवों से निकली हैं

बड़ी ही चुटीली और मजेदार बातों से भरी पड़ी हैं इनकी ये किताब जिसमें आपको हर तरह के फ्लेवर का स्वाद मिलेगा कि मूड की तरह ही इनकी लेखनी में विविध आयाम हैं जिनकी कुछ बानगी देखिये...

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सिर्फ़ घर बैठकर सारा दिन
Colors Channel देखने से
जिंदगी में रंग नहीं आयेंगे तेज भाई
-Tej@No_Life_Ok

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और भी कई हसीं मोड़ हैं
इस सफ़र में दोस्त
पर, तुम हो कि अब तक
उसी Silent मोड पर ही बैठे हो
-Tej@चल_चले_कहीं_और

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सिर्फ एक दिन Mother’s Day
और बाकी सारे दिन Other’s Day
यह कैसा Calender हैं हम सबका
-Tej@Happy_Mothers_Day

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देखो तुम रास्ता भटक जाओगी
ऐसा करो मुझे Guide रख लो
तुम्हें आसानी होगी मेरे दिल तक पहुंचने में
-Tej@Raju_Guide

चूँकि ‘इंटरनेट’ के माध्यम से इन्होने अपनी इस खूबी को पहचाना जिसके लिये ‘फ़ेसबुक’, ‘व्हाट्स एप्प’, ‘मेसेंजर’ आदि अलग-अलग प्लेटफार्म साबित हुये जिन्होंने इन्हें अपनी इस प्रतिभा को निखारने का सुनहरा अवसर दिया तो फिर इन्होने अपने इस हूनर को इन पर इस तरह से तराशा कि शब्दों से खेलते-खेलते ये शब्दों के बाज़ीगर ही बन गये जो अक्सर इस तरह से उनके बीच अंतराल पैदा करते कि अपने आप ही उनमें एक नूतन अर्थ चमत्कार की तरह उत्पन्न हो जाता और कभी वो शब्दों के स्थान इस तरह से बदल देते कि उनेक मायने ही बदल जाते तो कभी एक ही शब्द को इस तरह से एक के बाद एक रखते चले जाते कि उनके अलग-अलग अर्थों से अलंकार की तरह सौंदर्य पैदा हो जाता जिससे लिखे हुये वाक्यांश की खुबसूरती बहुगुणित हो जाती और इसे पढ़ने वाला अपनी मुस्कराहट को लबों पर आने से नहीं रोक पाता क्योंकि इनकी एक ये भी ख़ासियत हैं कि ये गंभीर से गभीर बात को भी अपने ‘सेंस ऑफ़ ह्यूमर’ से इतनी रोचक बनाकर सहजता से अभिव्यक्त कर देते कि वो ‘हास्य रस’ की चाशनी में पगकर हमारे भीतर के हंसी के हार्मोन को उत्सर्जित कर देती तो फिर भला किस तरह से हम उसे रोक पाने में समर्थ हो सकते हैं

जीवन के हर अहसास और मन की हर एक अनुभूति को समेटने का प्रयास करने में वे सफ़ल हुये चाहे फिर वो ‘प्रेम’ हो या ‘विरह’ या फिर कोई ‘सम-सामयिक मुद्दा’ या कोई ‘दिवस’ वे सबको अपने ख़ास ढंग से कुछ यूँ ज़ाहिर करते...

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कुछ लोग Oxygen तरह आते हैं हमारी ज़िंदगी में
और हम उन्हें Carbon Dioxide में तब्दील कर भेज देते हैं
उन्हें फिर से उनकी जिंदगी में
-Tej@जिंदगी_का_विज्ञान

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हर कोई उसे दिल ही डोनेट करता हैं
जबकि, उसे आँखों की जरूरत हैं
-प्रेम अँधा हे रे

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जब तक कोई Legally Notice न कर ले
कोई Affair Illegal नहीं होता
-Tej@Illegal_Affair

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सिर्फ़ Iron और Folic Acid की कमी थी
और मैं इतने दिनों से सोच रहा था कि तुम्हारी कमी हैं
-Tej@Nutrition_Value

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जब तुम Absent थी
तो कोई और Present था तुम्हारी जगह
अब तुम Present हो, पर...
मन अब उसे Absent मानने को तैयार नहीं
-Tej@बेईमान_मन

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न तुम क्वालिफाय कर पाई
न मैं क्वालिफाय कर पाया
इस राउंड में
कहने को तो दोनों सुखी हैं हम
अपनी-अपनी इश्क़ की बाज़ी हार के
-Tej@Game_Over


बहुत छोटी-छोटी बातों को वे इस तरह से घुमा-फिराकर उसके उस रूप को सामने ले आते जिसे हम अक्सर देख नहीं पाते या देखकर भी अनदेखा कर देते और जब इस तरह से उसकी व्याख्या पढ़ते तो आश्चर्यचकित हो जाते कि किस तरह से वे नीरस लगने वाले अल्फाजों में भी सरसता ढूंढकर उसे सरस बना देते उनकी ये अदा ही हैं जिसने कई लोगों को उनका मित्र बना दिया और हमारी भी उनसे पहचान ‘आभासी दुनिया’ की इस मुख पोथी पर ही हुई तो हम भी उनकी इस शैली से प्रभावित हुए बिना न रह सके कि किस तरह से वो आम बोलचाल की भाषा को अनूठे ढंग से पैकेजिंग कर उनकी गुणवत्ता में इज़ाफा कर देते हैं अगर यकीन न हो तो चंद नमूनों पर गौर फ़रमाइए...

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सुना हैं इन दिनों तुम बहुत Busy हो कामकाज में
अपने हिस्से की थोड़ी फुर्सत भेज रहा हूँ तुम्हें Speed Post से
Parcel मिलेट ही Use कर लेना
-Tej@Speed_Post

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मुझे बस India में रहना हैं
सावधान India में नहीं
अपनी Life Ok हैं Boss
-Tej@All_is_Well

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जहाँ Direct Connection की जरूरत हैं
वहां Data Connection का सहारा लेते हैं
तुम तक पहुँचने के लिये
हे राम ! हे कृष्ण !!
-Tej@राधे-राधे_Digital_India

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सारे Bus Stop इश्क़ के पीछे छूट गये
उम्र की Bus अब बस में नहीं रही मेरी
-Tej@Bus_Stop
                                
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यूँ तो सारी नसें सही सलामत हैं हमारी Body में
पर, एक जो वो Happy नर्स थी
वो इन दिनों कहीं नजर नहीं आती
-Tej@I_Miss_Her

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कब तक उसके इंतजार में धूप में बैठकर Vitamin-D लेते रहोगे
ये Dev-D का नहीं Subsi-D का जमाना हैं मेरे दोस्त
-Tej@TaxFreeDev-D     


ये महज़ इस अनमोल किताबें के चंद नगीने बोले तो सेम्पल हैं जिनसे आप इस पुस्तक के भीतर सहेजकर रखे हुये खज़ाने का अनुमान लगा सके कि यदि आप इस किताब को खरीदते हैं तो किसी तरह भी कोई घाटे का कोई सौदा नहीं होगा बल्कि एक ही किताब में अनेक किताबों का आनंद प्राप्त होगा जिसकी गारंटी हैं ये समीक्षा जो महज़ मित्रता के नाते नहीं बल्कि एक पाठक और लेखक के तौर पर भी लिख रही हूँ...
 
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बड़ा विचित्र प्रेम का रूप हैं
न अगरबत्ती, न धूप
न कॉफ़ी, न सूप
तू भी चुप, मैं भी चुप
चल बहुत हुआ
इसी पर The End करते हैं
-Tej@ByeBye                            

तो फ़िलहाल इस समीक्षा का यही शुभ अंत करती हूँ... इस उम्मीद और शुभकामना के साथ कि ‘तेजराज गहलोत जी’ की ये किताब जो उनके जीवन का एक सबसे हसीन ख्वाब भी हैं जिसे बड़ी शिद्दत से उन्होंने पूरा किया हैं... हमें तो केवल उसको देखना हैं... तो क्या हम इतना भी नहीं करते... सोचना नहीं बस, योगदान देना हैं... साथी हाथ बढ़ाना... :) :) :) !!!
        
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२३ अक्टूबर २०१७

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