रविवार, 16 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३४६ : #खरीद_रहे_महंगे_प्रोडक्ट #साथ_मिल_रही_दर्दनाक_मौत




आज के समय में इतनी नई-नई बीमारियों के नाम सुने जा रहे पहले जिनका नामों-निशान तक न था हैरत की बात कि वो भी तब जबकि, लोग शिक्षित व जागरूक ही नहीं बल्कि, अपने स्वास्थ्य के बारे में हर बारीक़ जानकारी तक रखते है ऐसे में लगता कि वो जमाना ज्यादा अच्छा था जब हम भले ही पढ़े-लिखे कम थे लेकिन, प्रकृति के इतने नजदीक रहते थे कि शुद्ध वायु, पानी, अन्न और फल-फूल ही नहीं लम्बी आयु का वरदान व सेहतमंद जीवन प्राप्त होता था तब हम इतने आधुनिक नहीं थे तो क्या बिना ए.सी., फ्रिज, कार, गाड़ी, वाशिंग मशीन, मोबाइल के भी खुश रहते व इन तकनीक जनित दर्द-रोग से दूर अपनों के करीब होते थे

आज हम घरों के दरवाजे, खिडकियों को कस के बंद कर सुविधा के तमाम साधनों के साथ भीतर से फर्श-सामान को क्लीनिंग प्रोडक्ट से साफ़-स्वच्छ करके समझते कि हम तो सभी रोगाणुओं-रोगों से दूर हो गये लेकिन, ये भूल जाते कि महंगे दामों में हमने अपने लिये उत्पाद नहीं बल्कि, बीमारियाँ खरीदी है यकीन न हो तो अपनी हर जाँच में होने वाली बीमारी के कारण को जानने का प्रयास करें तो पायेंगे कि उनमें कहीं न कहीं या तो हमारा फ़ूड आयल/फ़ूड आइटम्स या हमारी जीवन शैली या ये आधुनिकता ही दोषी है ये सुविधायें हमको केवल सुख का वरदान ही नहीं दुःख का अभिशाप भी दे रही जिसे कहते न कि विज्ञान वरदान और अभिशाप दोनों ही है

हम भी ऐसे माहौल में रहते हुये खुद को दूसरों से अधिक हाई-फाई दर्शाने अपने शरीर को तमाम गेजेट्स से ढंक लेते, अपने घरों में तमाम यंत्र भर लेते फिर कहते कि पता नहीं हम बीमार क्यों हो रहे जबकि, कोई भी बीमारी अपने आप नहीं आती हम ही जाने-अनजाने उसे न्यौता देते है पहले और आज के समय का आंकलन करें कि तब चौके-चूल्हे में खाना बनता, सब नीचे बैठकर आलथी-पालथी मारकर खाते, कम से कम सुविधाओं का उपयोग करते हाथ से ही अधिक काम करते और गाड़ी भी जरूरत पर ही चलाते थे और सौन्दर्य-प्रसाधन भी ज्यादातर घरेलू ही इस्तेमाल करते थे

अब तो बच्चे की नेपी से लेकर बड़े-से-बड़ा सामान हम बाज़ार से ला रहे वो भी जो हम स्वयं बना सकते पर, आलस ने सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, बडी-पापड़, अचार-मुरब्बे जैसी घर में बनाने वाली चीजों व हस्त-कलाओं को ही नहीं लील लिया बल्कि, इसने न जाने कितनी छोटी-छोटी क्रियायों को विलुप्ति की कगार पर पहुंचा दिया और हमें रोगग्रस्त, अल्पायु का तोहफा दिया चूँकि, इन सबमें हमें अपना फायदा नजर आ रहा तो हम जाने-बुझते भी उन शत्रुओं को नजर अंदाज कर रहे जो हमारे घरों में बाथरूम से लेकर बेडरूम तक प्रोडक्ट्स के रूप में सजे हुये बल्कि, हम ही ने उनको वहां लाकर रखा हुआ है

#जॉनसन_एंड_जॉनसन एक ऐसी नमी-गिरामी कम्पनी जिसके प्रोडक्ट्स सभी जगह प्रयोग में लाये जाते हैं और यदि भारत की बात करें तो यहां उनको ही बच्चों के लिए बेस्ट माना जाता है लेकिन, एक नई रिपोर्ट में इस कंपनी को लेकर जो खुलासा हुआ है वहां बेहद चिंताजनक है कल न्यूज एजेंसी #रॉयटर्स की रिपोर्ट में कुछ खुफिया दस्तावेजों और सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है कि, अमेरिकी फार्मा कंपनी #जॉनसन_एंड_जॉनसन को लंबे समय से पता था कि उसके बनाए बेबी पाउडर में हानिकारक केमिकल एसबेस्टस मौजूद है। इसमें ये भी कहा गया है कि, 1971 से लेकर 2000 तक कंपनी के बेबी पाउडर की टेस्टिंग में कई बार एसबेस्टस मिलाया गया ।

#बेबी_पाउडर में हानिकारक केमिकल होने के कई बार आरोप लगे है जुलाई में अमेरिका की  सैंट लुइस कोर्ट ने कंपनी के पाउडर में कैंसर फैलाने वाला केमिकल एसबेस्टसमिलने के बाद उस पर 4.7 अरब डॉलर (करीब 34 हजार करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया था । यह राशि उन 22 महिलाओं और उनके परिवारों को दी गई जिन्होंने पाउडर की वजह से कैंसर होने का दावा किया था । यह पहला मामला था जब एसबेस्टस की वजह से कैंसर होने का पता चला गौरतलब है कि #जॉनसन_एंड_जॉनसन वर्तमान में पूरे अमेरिका में मुकदमों का सामना कर रहा है इसके उत्पादों के द्वारा गर्भाशय का कैंसर होने का दावा करने वाली महिलाओं द्वारा 9,000 से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराए गए है यहाँ तक कि, जॉनसन एंड जॉनसन के नो मोर टीयर वाले बच्चों के शैम्पू पर भी सवाल उठे इस शैम्पू पर कई स्वास्थ्य संगठनों ने सवाल उठाए

ज्ञात हो कि ऐसे ही एक मामले में पिछले साल वर्जिनिया में कंपनी को लगभग 70 करोड़ (10 मिलियन डॉलर) का जुर्माना सहना पड़ा था इससे पहले 2016 में भी कंपनी को एक कैंसर के मरीज को समान समस्या होने के चलते 375 करोड़ (55 मिलियन डॉलर) का हर्जाना भरना पड़ा था टैल्कम पाउडर से ओवेरी कैंसर का पहला मामला 1971 में सामने आया था इसी साल अमेरिका के मिसूरी राज्य की एक अदालत ने एक परिवार को 72 मिलियन डॉलर यानी करीब 494 करोड़ रुपए का जुर्माना देने का आदेश दिया जब इस कंपनी के प्रॉडक्ट इस्तेमाल करने और एक महिला को कैंसर होने के बीच दावे सत्य साबित पाए गये यानि 2 सालों के अंतर्गत कंपनी को 5,950 करोड़ मुआवजा देने के आदेश दिए गए हैं । हालांकि, कंपनी का कहना है कि उसके प्रॉडक्ट पूरी तरह से सेफ हैं।

ये तो थी अमेरिका की बात जहाँ बेबी पाउडर से बीमारी के 6,610 मामले दर्ज हैं लेकिन, अब यदि भारत की बात करें तो यहां बेबी केयर का मार्केट 93,000 करोड़ का है। जिसमें जॉन्सन एंड जॉन्सन कंपनी का हिस्सा 60 फीसदी है इसके बाद भी यकीन है कि उनकी साख व दाम पर कोई आसर नहीं आयेगा क्योंकि, लोग तो उसके प्रोडक्ट्स को बेस्ट समझते तो उसे ही खरीदेंगे इस कम्पनी व इसके प्रोडक्ट्स के माध्यम से महज़ इतना समझाने का प्रयास किया गया है कि हम कृत्रिम नहीं प्राकृतिक जीवन जिये सोते ही न रहे और अपने जीवन को इन उत्पादों के भरोसे छोड़कर जीते रहे तो किसी दिन इसी तरह इनकी वजह से मौत की आगोश में पहुँच जायेंगे

कोई भी कम्पनी, कोई भी उत्पाद हमारी जान व स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं है इसलिये कुछ भी खरीदने से पहले हम लोग उस पर दर्ज कम्पोजीशन को जरुर गौर से पढ़े कहीं उसमें ऐसा कोई एलिमेंट तो नहीं मिला जिसमें मौत मिली हो क्योंकि, हमारी आदत कि हम सब सिर्फ विज्ञापन देखकर कोई भी चीज़ खरीद लेते है  

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१६ दिसम्बर २०१८

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