सोमवार, 31 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३६१ : #घड़ी_की_सुइयां #कहती_कभी_न_रुकना




घड़ी की तीनों सुइयां होती अलग-अलग नाप की और अलग-अलग नाम की पर, इन तीनों के बीच आपसी तालमेल से ही समय आगे बढ़ता जो पल-पल बदलता रहता और हमको कुछ कहता जिसे हम अनसुना कर देते...

●●●●●●
कुछ कहती
टिक-टिक करती
घड़ी की सुईयां
सुनो जरा गौर इसको
पल-पल बीत रहा
हर पल निरंतर
गर, समय हो कम तो
न रुकना क्षण भर को भी
बोले ‘सेकंड’ की सुई
थाम के हाथ इन पलों का
पा सकते एक घड़ी
जो देती जीने को
छोटे-छोटे लम्हों की कड़ी
ये कहती ‘मिनट’ की सुई बड़ी
और जो कर ली कदर
एक-एक पल की तो
जरा-सा थमकर इत्मिनान से
फ़िर बढ सकते आगे
पा सकते मंज़िल कोई भी
देती ये बडा संदेश
सबसे छोटी ‘घंटे’ की सुई ||
●●●●●●●●●

आज की रात भी ये अपने साथ इक्कीसवी सदी को कुछ और बड़ा कर देगा साथ ही हमारी उम्र व अनुभव में थोड़ा इजाफ़ा कर देगा जिसे हम रोक तो नहीं सकते लेकिन, इनके साथ कदम मिलाकर चलते हुये अपनी मंजिल को जरुर पा सकते है तो यही करना है

यही संकल्प लेना है कि अपने तयशुदा लक्ष्य को पा सके... ☺ ☺ ☺ !!!

_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
३१ दिसम्बर २०१८

कोई टिप्पणी नहीं: