मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३५५ : #प्रेम_से_जीतने_आये_दिल #प्रभु_के_प्यारे_पुत्र_ईशा_मसीह




इस दुनिया में ईश्वर ने अपना सन्देश लोगों तक पहुँचाने के लिये अपने अनेक दूत भेजे जो अलग-अलग रूप धरकर इस धरा पर आये और अपने तरीके से सबके बीच ये कहने का प्रयास किया कि, हम सब एक ही प्रभु की सन्तान है हम सबको आपस में मिल-जुलकर रहना चाहिये क्योंकि, जीवन क्षण-भंगुर है जिसे बेवजह की बातों या लड़ाई-झगड़े में व्यर्थ गंवाने की जगह आपस में प्रेम से व्यतीत करना चाहिये

जितने भी अवतार इस जग में आये सबने एक ही बात कहीं एवं सबने हमारे बीच वही पैगाम पहुँचाया जिसके लिये वे यहाँ आये थे पर, हमने उनकी बातों को मानने की जगह उन्हें ईश्वर का दर्जा देकर मन्दिर-मस्जिद-गिरजाघर या गुरूद्वारे में बैठा दिया क्योंकि, ये हमें उन नियम-कायदों पर अमल करने से ये काम अधिक आसान लगा पर, ये भूल गये कि एक दिन आता जिसे कयामत कहते तब हम इनकी कही बातों को दोहराते पर, अफ़सोस तब तक बहुत देर हो चुकी होती है

हम गौर करें तो पायेंगे कि, जब हमने किसी एक अवतार की बात को गंभीरता से नहीं लिया या ये माना कि चूँकि वे तो भगवान इसलिये उनके लिये कुछ भी कर पाना मुश्किल नहीं मगर, हम तो अदने-से इन्सान है तब-तब उस परमपिता ने अपने किसी अन्य पुत्र को पुनः हमारे बीच भेजा जिससे कि देर से ही सही हम ये समझ जाये कि इस जगत में सब उसके ही बनाये बन्दे है जिनका एक ही धर्म है मानवीयता

आज भी एक ऐसे ही ईश्वर के प्यारे पुत्र ईशा की जयंती है जो प्रेम का मानवीय रूप धारण कर इस दुनिया में आये और अपने समस्त जीवन में उन्होंने सबको निःस्वार्थ प्यार ही बांटा एवं सदैव उनकी ये कोशिश रही कि सब आपस में प्रेम से रहें अपने छोटे-छोटे क्रियाकलापों और हर गतिविधि से उन्होंने हमेशा यही जताया कि हम सब एक है और ये साबित करने ऐसा जीवन जिया जिससे हम ये माने कि सबका मालिक एक है  

उनके जीवन का एक वाकया ये बताता कि वे कितनी सहजता से सबक सीखते-सिखाते और सबको प्रेम बांटते थे...

एक बार की बात है ‘प्रभु ईसा मसीह’ अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे, तब बीच राह में उन्होंने देखा कि एक गड़ेरिया अन्य भेड़ों की अपेक्षा अपनी एक भेड़ को अतिरिक्त स्नेह कर रहा है उसने स्नेह से उस भेड़ को गोद में उठाया फिर बहला-फुसला के उसे ताज़ी-हरी घास खाने को दी ये सब देखकर ईसा मसीह ने गडरिये से इस स्नेहातिरेक का कारण पूछा तो वो बोला—“प्रभु, यह भेड़ हमेशा रास्ता भटक जाती है यूँ तो कहने को मेरे पास और भी बहुत सारी भेड़ें है पर, वे सब सीधे घर आती है लेकिन, यही राह भूल जाती है इसलिये आज इसे अधिक प्यार दिया ताकि ये फिर से रास्ता न भटके” उसकी बात सुनकर ईसा मसीह प्रसन्न होकर अपने शिष्यों से बोले—“जो राह से भटक जाये उन्हें प्यार देकर राह पर लाना चाहिये न कि उन्हें मारना चाहिये या उन पर क्रोध करना चाहिये”

हम सबको सदा प्रेम का पथ पढ़ाने वाले प्रेम दूत की जयंती पर सबको बधाई... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२५ दिसम्बर २०१८

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