रविवार, 30 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३६० : #फ़िल्में_जिनकी_विख्यात_देश_विदेश #वो_है_महान_निर्माता_निर्देशक_मृणाल_सेन




२०१८ जाते-जाते अपने साथ सदी के एक महान फिल्मकार को भी अपने साथ लेता गया वो भी ऐसे जिन्होंने भारतीय सिनेमा को विश्व परिदृश्य पर नाम व पहचान दिलाई आज रविवार की सुबह उस निर्देशक ने ९५ की उम्र में अंतिम सांस ली अपने पीछे अपनी समृद्ध विरासत और वो अनमोल थाती अपनी उन फिल्मों के रूप में फिल्म इंडस्ट्री को सौंपकर गये जिन्होंने हिन्दी सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया सिनेमा की दुनिया में काम करने वालों को कला या समनांतर सिनेमा जैसे एक नवीनत्तम और अलग ही तरह के सिनेमा की सौगात दी जिसने उस दौर ही नहीं उसके बाद के अनेक फिल्मकारों को इस दिशा में कार्य करने हेतु प्रेरित किया और ये बताया कि कहानी को इस तरह से भी फिल्माया जा सकता है कि वो मनोरंजन देने के अलावा सोचने को भी मजबूर करे

हम बात कर रहे है ‘मृणाल सेन’ की जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में उस निर्माता-निर्देशक के रूप में अंकित है जिन्होंने सिनेमा की प्रचलित धारा को केवल मोड़ा नहीं बल्कि, उससे एक नई धारा भी उत्पन्न की जिसमें प्रवाहित होकर केवल कहानी का प्रस्तुतिकरण ही नहीं उसके साथ-साथ फ़िल्मी कलाकारों के अभिनय की भाव-भंगिमा व चरित्र-चित्रण भी कथा के अनुरूप होकर वास्तविकता का सजीव चित्रांकन हो उठता था यही वजह कि उनकी फ़िल्में बांग्ला भाषा में होने एवं वे बंगाली फिल्मकार होने के बावजूद भी हिंदी सिनेमा में अपना पूर्ण दखल रखते है क्योंकि, उन्होंने भले ही हिन्दी भाषा में कम फिल्मों का निर्माण किया पर, जो भी बनाई उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी उन्हें व देश को ख्याति दिलाई व विश्व पटल पर हिन्दी सिनेमा का नाम सदा-सदा के लिये स्थापित कर दिया

यूँ तो उनका फ़िल्मी दुनिया में आना अकस्मात था लेकिन, जब वे यहाँ आ ही गये तो फिर ऐसा कमाल किया कि भारत सरकार ने उन्हें सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ ही नहीं कला के लिये ‘पद्मभूषण’ से भी सम्मानित किया और १९९८ से २००० तक वे राज्यसभा में मनोनीत सांसद भी रहे । उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिये २० से अधिक ‘नेशनल अवार्ड’ भी हासिल किये इसके अलावा दुनिया में जितने टॉप फिल्म फेस्टिवल होते हैं केन (फ्रांस), वेनिस, बर्लिन, शिकागो, मॉस्को, मोंट्रियल, कार्लोवी, कायरो सब में उनकी फिल्मों को चुना जाता रहा व उन्हें अवॉर्ड भी मिलते रहे । यही वजह कि देश ही नहीं विदेश में भी उनको अनेकों सम्मान प्राप्त हुये विश्व सिनेमा में उनके योगदान के लिए सोवियत संघ ने भी उन्हें 1979 में ‘नेहरू-सोवियत लैंड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया । यही नहीं, उन्हें साल 2000 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अपने मुल्क का ऊंचा सम्मान ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिपमृणाल सेन को पहनाया ये सम्मान पाने वाले वे अकेले इंडियन फिल्ममेकर थे । दो साल पूर्व ही उन्हें ऑस्कर फिल्मों की ज्यूरी का सदस्य भी बनाया गया था ।

उनकी इस विश्व विख्यात शख्सियत की वजह से ही आज उनके निधन की खबर सुनकर देश के प्रधानमन्त्री ने भी शोक संवेदनाएं व्यक्त की तो महानायक अमिताभ बच्चन ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये क्योंकि उनकी फिल्म ‘भुवन शोम’ के माध्यम से ही उन्होंने पहली बार वोईस ओवर किया था और यही वो फिल्म जिसके आधार पर आमिर खान की फिल्म लगान के नायक-नायिका का नाम भी भुवन व गौरी रखा गया था । १९७६ में उनकी ही बनाई गयी ‘मृगया’ फिल्म से आगे डिस्को डांसर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मिथुन चक्रवर्ती ने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की जिसके लिये निर्देशक ही नहीं अभिनेता को भी उस साल के सर्वश्रेष्ठ नायक राष्ट्रीय पुरस्कार मिला जो आज भी ‘मिथुन दा’ की एक बेस्ट मूवी मानी जाती है ।

सिने जगत को उनके दिये योगदान व विश्व परिदृश्य में उनके कद को देखते हुये उनके लिये कुछ-भी या कितना भी लिखा जाना कम ही है उन्हें बेहतर तरीके से जानने-समझने के लिये उनकी फिल्मों का अवलोकन ही पर्याप्त है और हम खुशनसीब कि वे फ़िल्में उपलब्ध है तो सिनेमा के शौकीन उन्हें देखकर ये जाने कि उसने क्या खो दिया... एक दिन अचानक... शब्दांजली... श्रद्धांजलि... !!!

#एक_दिन_अचानक
#चले_गये_मृणाल_सेन

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
३० दिसम्बर २०१८

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