शनिवार, 8 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३०८ : #लघुकथा_नो_पीरियड_लिव




"जूली, आप मिस सोनिया को अंदर भिजवा दीजिये बोलना मैने बुलाया है" लैपटॉप पर काम करते हुये सीनियर मैनेजर मिसेज रमोला सरदाना ने अचानक अपनी सेक्रेटरी से ये बात कही और वापस अपने काम में लग गई ।

कुछ देर बाद डोर पर नॉक हुई और सैंडिल की खट-खट के साथ सोनिया ने चैम्बर में प्रवेश किया तो देखा मैडम अभी भी लैपटॉप पर सर झुकाये कुछ करने में व्यस्त थी ।

आपने मुझे बुलाया मैम...

हां, सोनिया बैठो

वो उनके सामने की चेयर पर बैठ गयी और चुपचाप उनको देखने लगी

तभी उसकी मैडम ने ऊपर नजर उठाई और बोली, सोनिया इस महीने से कम्पनी तुम्हें पीरियड लिव देना बंद कर रही है यही बताने तुमको बुलाया था ।

मैम, अचानक ऐसा निर्णय क्यों? ये तो मेरा अधिकार है जिसे क्यों छीना जा रहा मुझे जानने का पूरा हक है ।

स्युर, व्हाई नॉट इट्स योर राइट टू नो इट... रीजन एकदम क्लियर है मैंने अब तक ली गई तुम्हारी सभी एप्लीकेशन चेक की जिसमें तुमने सिर्फ पीरियड की वजह से छुट्टी नहीं ली बल्कि, इसलिये ली कि तुम्हें बेहद तकलीफ होती और तुम चल-फिर भी नहीं सकती ऐसी ही कई मेडिकल वजहों का जिक्र उनमें तुमने किया है ।

जी, मैम क्योंकि ऐसा ही होता उन दिनों बहुत तकलीफ रहती बिस्तर से उठना तक मुश्किल होता इसलिये मैं हर महीने 2 दिन की विशेष छुट्टी सिर्फ इसके लिये लेती हूं ।

पर, मिस सोनिया अभी मैं आपका फेसबुक अकाउंट देख रही थी जिसमें आपने एक पोस्ट पर लिखा हुआ है कि, "मुझे तो कभी अहसास तक नहीं होता कि कब पीरियड आते और चले भी जाते यहां तक कि सब कुछ हर दिन की तरह इतना सामान्य रहता कि घरवालों तक को पता नहीं चलता कि मुझमें कोई बदलाव है एकदम सहज प्रक्रिया जिसमें ऐसा कुछ भी नहीं कि उसकी वजह से किसी काम में कोई परेशानी हो तो फिर ऐसे में स्त्रियों को पूजा से वंचित करना मुझे समझ नहीं आता जबकि, ये प्रक्रिया न हो तो किसी का जन्म ही न हो अतः इसके नाम पर मंदिर जाने पर रोक लगाना गलत है मैं इसका विरोध करती हूं" ।

इसे पढ़ने के बाद मैंने याद किया कि ऑफिस में सबसे ज्यादा आंदोलन तुमने ही चलवाया था इन दिनों के अवकाश हेतु और खुद का उदाहरण तक दिया था कि इन दिनों तुम्हारी हालत तो जल बिन मछली-सी हो जाती आना असंभव तब सोच-विचार के बाद इस नियम को लागू किया गया और तुम यहाँ दूसरा ही राग अलाप रही तो ऐसे में मैं इसे सच मानकर ये फैसला कर रही हूं ।

मैम, आप मेरी बात तो सुनिये वो जो मैंने फेसबुक पर लिखा वो तो एक अभियान का हिस्सा है जो सब महिलाएं लिखकर पोस्ट कर रही जिसमें सच्चाई कुछ भी नहीं सब मनगढ़ंत है ।

ओह, इसका मतलब तुम एक फेक फेमिना हो जो ऐसी फर्जी पोस्ट डालकर विवाद पैदा करती है फिर तो ये सरासर गलत ही नहीं अपराध भी है और तुम जैसी झूठी महिलाओं की वजह से ही औरतों को उनका हक़ नहीं मिलता इसलिये सिर्फ तुम्हारी लिव ही नहीं नौकरी भी खत्म हो जाना चाहिये... नाउ यू कैन गो ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०८ दिसम्बर २०१८

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