गोकुल की
हर एक गोपी
हर ग्वाल-बाल
सारा का सारा
जमाना
हर कोई उसका
दीवाना हैं ।
.....
उसकी बंशी
उसकी बोली
उसकी चाल
उसकी मुस्कान
उसकी हर एक अदा
ने
सबको अपना बना
डाला हैं ।
.....
जो भी देखे
जो भी सुने
जो भी मिले
उसका ही हो
जाये
उसके बिन जी न
पाये
नजर उसकी जो
कातिल हैं ।
.....
हर आँख रोई
हर दिल तड़फा
जब चले गये
कान्हा
छोड़ कर अपना
धाम
सब रो-रोकर याद
करते
हर कोई विरह
में पागल हैं ।
……….
#मासानां_मार्गशीर्षोऽहं
#महीनों_में_मैं_मार्गशीर्ष_हूं
#मार्गशीर्ष_पूर्णिमा
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
२२ दिसम्बर २०१८
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