मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३०४ : #रात_दिन_जलता_हूँ #फिर_भी_नहीं_बुझता_हूँ




रात और दिन
अनवरत जलता हूँ
फिर भी नहीं बुझता हूँ
कि, मैं सूरज की तरह
दुनिया को रोशन करता
भटकों को राह दिखाता हूँ

मैं कौन ???

'सत्य'
जिसे खत्म करने
जिससे बचने का हर कोई
जतन करता हैं

लेकिन...
मैं न तो झुकता
और न ही मिटता हूँ
समय आने पर
स्वतः ही उजागर होता हूँ

मेरे साथ
चलने वालों और
मुझे मानने वालों को
मैं कभी न झुकने देता हूँ

भले लगे कि
असत्य जीत गया
सच का बोलबाला नहीं रहा
पर, कभी भी किसी भी हाल
मैं पराजित नहीं होता हूँ ।।

#सत्यमेव_जयते

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०४ दिसम्बर २०१८

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