शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३५१ : #वतन_के_आगे_कुछ_नहीं #मैं_खुद_भी_नहीं




चाह नहीं कि
इश्क़ में फ़ना हो जाऊं
किसी की ख़ातिर
वज़ूद अपना यूँ ही गंवाऊं
लिख प्रेम के पुर्जे
जेहन अपना फ़िज़ूल खपाउं
फिरूँ बन के दिवानी
जुनूनी पागल कहलाऊं
दुनियावी गहनों से
तन अपना सवारुं सजाऊँ
देख-देख दूसरों को
जी अपना नाहक जलाऊं
.....
ख़्वाहिश हैं तो
बस, इतनी सी कि
ये तुच्छ प्राण अपने
देश पर निछावर कर पाऊं ।।
………..

#मुझे_देश_में_डर_नहीं_लगता

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
२१ दिसम्बर २०१८

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