रविवार, 9 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३१० : #कोचिंग_सेंटर_पूरे_न_करे_गर_वादे #उपभोक्ता_फोरम_से_लड़कर_अपना_हक_मांगें




आये दिन अख़बारों में अनेकों कोचिंग सेंटर ही नहीं विद्यालयों के विज्ञापन अनगिनत सुविधाओं के दावों और आकर्षक ऑफर के साथ प्रकाशित होते रहते जिनसे प्रभावित होकर न जाने कितने पालक अपने व अपने बच्चों के सपनों को पूर्ण करने उनका दाखिला उस संस्थान में करवा देते जिसके लिये वे मनमानी फीस भी वसूल करते लेकिन ऐसे कितने जो इश्तहार में लिखी गयी शर्तों व नियमों का अक्षरशः पालन करते और उम्मीदों पर शत-प्रतिशत खरा उतरते लगभग न के बराबर और उनमें भी ऐसे कितने जो छात्रों की असफलता की जिम्मेदारी लेते और उनको मुआवजा देते शायद, एक भी नहीं

पर, क्या आप ये जानते कि कोई भी कोचिंग सेंटर या कोई भी कम्पनी जो भी अपने उपयोगकर्ताओं या उपभोक्ताओं से वादा करते अगर, वो इसे पूर्ण नहीं करते तो वे उस पर उपभोक्ता फोरम के अंतर्गत मुकदमा कर सकते मगर, ये भी एक सच कि इसका ज्ञान होने के बाद भी कोई ऐसा नहीं करता जिसका नतीजा कि इन कोचिंग सेंटर्स पर लाखों-करोड़ों रूपये फूंकने के बाद भी जब अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होता तब भी कोई इनको दोष न देकर अपने में ही कमी ढूंढता या फिर किस्मत के सर ठीकरा फोड़कर मन को समझा लेता ऐसे में इनकी संख्या व फीस दिन-दिनों बढ़ती जाती

अतः इनकी मनमानियों पर लगाम लगाने ये निहायत जरुरी कि प्रवेश से लेकर अंतिम परिणाम तक हर दस्तावेज को संभालकर रखा जाये और जब ये महसूस हो कि आपकी पूरी मेहनत व सारी कोशिशों के बावजूद भी आपका रिजल्ट मनचाहा इसलिये नहीं आया कि उसमें कुसूर आपका नहीं बल्कि, संस्थान का है जिसने एडमिशन के पूर्व आपसे जो भी वादे किये उनको पूरा नहीं किया जिसका प्रभाव आपके रिजल्ट पर पड़ा तो आपको पूरा हक़ है कि आप अपने पैसे व समय के नुकसान की भरपाई भी उतने ही अधिकारपूर्वक करें जितने अधिकार से उन्होंने आपसे फीस वसूली थी आपको यदि लग रहा कि ये नामुमिकन है तो इस खबर को जरुर पढ़े और पूरा पढ़े तो पता लगेगा कि ये सम्भव है...        

#AIIMS_परीक्षा_में_फेल_हुआ_तो_इंस्टीट्यूट_पर_ठोका_केस_मिले_77_हजार
(एम्स एंट्रेंस परीक्षा की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर पर छात्र ने चलाया मुकदमा...)

हर साल एम्स में दाखिला लेने के लिए लाखों छात्र एंट्रेंस परीक्षा में शामिल होते हैं चूँकि, ये परीक्षा काफी मुश्किल होती है अतः इसकी तैयारी के लिए छात्र कोचिंग सेंटर्स का सहारा लेते हैं लेकिन, हाल ही में एक ऐसी खबर आई जिसमें एम्स एंट्रेंस परीक्षा की तैयारी कराने वाले हैदराबाद के कोचिंग सेंटर पर एक 28 साल के डॉक्टर आर शंकर राव ने उपभोक्ता फॉर्म के अंतर्गत मुकदमा कर दिया

डॉक्टर का कहना था कि, ये कोचिंग सेंटर सही से तैयारी नहीं करवा रहा  साथ ही तैयारी कर रहे छात्रों को कक्षा में पढ़ाने के लिए फैकल्टी मेंबर देने में असफल रहा कोचिंग सेंटर की इसी लापरवाही के कारण उनका परीक्षा में प्रदर्शन खराब रहा जिसकी वजह से वह फेल हो गए यहीं नहीं शंकर ने आरोप लगाया कि एम्स एंट्रेंस टेस्ट कोर्स में शामिल होने वाले सभी टॉपिक्स को कोचिंग सेंटर ने कोर्स में शामिल नहीं किया था वह सभी टॉपिक्स को कवर करने में असफल रहे जिसकी वजह से वह एम्स एंट्रेंस टेस्ट को पास नहीं कर पाया और पैसा, समय दोनों ही बर्बाद हो गए

उनके प्रकरण पर जिले के कंज्यूमर फोरम ने कार्यवाही करते हुये उनको कोचिंग सेंटर से 45,000 रुपये वापस करवाये जो उन्होंने कोचिंग की फीस दी थी इसके साथ ही नुकसान भरपाई के लिए 32,000 रुपये का मुआवजा भी दिलवाया न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चिक्कड़पल्ली में 'भाटिया मेडिकल इंस्टीट्यूट' में मेडिकल कोचिंग के लिए दाखिला लेने वाले आर शंकर राव को आश्वासन दिया गया कि उन्हें डॉ देवेश मिश्रा ही उनकी पढ़ाएंगे लेकिन, कोचिंग सेंटर ज्वॉइन करने के बाद शंकर के हाथ निराशा लगी डॉ देवेश मिश्रा एक पैथोलॉजिस्ट हैं, लेकिन उन्होंने एक भी दिन पूरे कोर्स के दौरान क्लास नहीं ली थी

वहीं दूसरी ओर कोचिंग सेंटर ने दावा किया है कि उनके कोचिंग सेंटर की तकनीकों में कोई गलती नहीं थी, साथ ही उन्होंने कभी भी डॉ देवेश मिश्रा को फैक्लटी मेंबर के तौर पर होने का कोई वादा नहीं किया था इस तरह कोचिंग सेंटर ने ये कहते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने कोर्स में शामिल होने वाले एडिशनल टॉपिक्स को पढ़ाया था फिर भी हैदराबाद कंज्यूमर फोरम 3 ने कहा कि सेंटर शिकायतकर्ता को दिए गए मानकों को प्रस्तुत करने में असफल रहा यानी सेंटर ने अपने छात्र की जरूरत का ख्याल नहीं रखा वहीं अपने आर्डर में कंज्यूमर फोरम ने कहा कि कोचिंग सेंटर को अपने किसी भी छात्र को 'निराश और असंतुष्ट' नहीं करना चाहिए थे ये कोचिंग सेंटर की गलती है

कंज्यूमर फोरम ने ये भी कहा कि इस मुद्दे से संबंधित कोचिंग सेंटर को कई ईमेल लिखे गए थे वहीं अगर सेंटर चाहता तो आवश्यक राशि काटने के बाद शिकायतकर्ता को वापस कर सकता था वहीं कोचिंग सेंटर यदि किसी बात का दावा करते हैं तो उसे अपने वादे को पूरा करना चाहिए था

इसलिये जागो ग्राहक जागो... जागो छात्रों जागो... यदि सेंटर्स को मनचाही फीस देते हो तो मनचाहा परिणाम भी लो और न मिले तो चुप न रहो ताकि, दूसरे उनका शिकार होने से बच जाये क्योंकि, समय के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती फिर भी मुआवजा जख्म पर मरहम तो बन ही सकता है तो ध्यान रहे... दावे-वादे कागजी न हो सरकार की तरह जो एजेंडे में तो हसीन ख्वाब दिखाती पर, हक़ीकत में रुलाती जो झूठे बोले सबको आईना दिखाओ... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०९ दिसम्बर २०१८

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