रविवार, 2 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३०२ : #इक_सड़क_चाँद_तक




सिर्फ,
एक ग्रह नहीं
उम्मीदों का प्रतीक हैं
'चाँद'
एक असाध्य लक्ष्य
जिसे पाने की ख्वाहिश
हर किसी की होती
मगर, कोई ही होता ऐसा
जो हौंसलों की ईंट चुन-चुनकर
एक सड़क बनाता
आत्मविश्वासी कदमों से चल
मंज़िल तक पहुंचता
बाकी तो बस, उसे निहारते
उसमें मेहबूबा को देखते
कुछ भूखे उसे रोटी भी समझते
चंद ही ऐसे होते जो कि
उसे महज़ इक खुबसूरत चेहरा नहीं
'अर्जुन' की तरह जीवन का ध्येय समझ
एकाग्र होकर निशाना साधते ।।

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०२ दिसम्बर २०१८

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