मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

सुर-२०१८-३४८ : #संशय_में_राह_दिखाता #गीता_का_ज्ञान_अंधकार_मिटाता




‘श्रीमद्भागवद्गीता’ एक ऐसा महान ग्रन्थ जिससे हर कोई न जाने कितने सबक सीख सकता और यही इसकी विशेषता जो इसे सदियों से आज तक प्रासंगिक बनाये हुये है ये उन परिस्थितियों में स्वयं भगवान कृष्ण के श्रीमुख से निकला महाज्ञान है जबकि, महावीर अर्जुन युद्धस्थल में भ्रम-संशय के कठिन मायाजाल में उलझे थे ऐसे में उनके मन में उठने वाले प्रश्नों के समाधान उनके मित्र, साथी, सारथी बने श्रीकृष्ण ने इस तरह से निकाले कि न केवल अंतर के जाल साफ़ हो गये बल्कि, आगे क्या करना है वह भी एकदम स्पष्ट समझ में आ गया था

जिसका नतीजा कि वो अर्जुन जो जंग से पहले ही हथियार रखने चला था न केवल उसने अपने अस्त्र-शस्त्र उठा लिये बल्कि, जिन अपनों को मारने की कल्पना से ही वो सहमकर पीछे हट गये थे उन्हें मारते समय उनके हाथ तनिक भी नहीं कंपकंपाये क्योंकि वे जान गये थे कि धर्म की लड़ाई में अधर्मियों को मारना कदापि गलत नहीं इस तरह उन्होंने अपने कर्मों से उन शब्दों का मान रखा उन्हें सार्थकता प्रदान की जो उनको प्राप्त हुये थे और ये धर्मयुद्ध आने वाली पीढ़ियों को ऐसी कठिन घड़ियों में राह दिखाने वाला मार्गदर्शक बन गया

हम सबके ही जीवन में कभी न कभी ऐसे हालात बन ही जाते जब हमें समझ में नहीं आता कि हम क्या निर्णय ले या किस राह पर जाये तब ऐसे में गीता को पढ़ने मात्र से हमारी सभी समस्यायें चुटकियों में हल हो जाती और हालत शीशे की तरह स्वच्छ दिखाई देने लगते जिसमें भविष्य की झलक भी उभरने लगती तब संशयरहित हमारे व्यक्तित्व में भी वो चमक प्रतिबिम्बित होने लगती जिसे आभामंडल कहते और यही तो वो रौशनी जो सभी विकारों को जलाकर भीतर का अन्धकार मिटाती हमारे भीतर आत्मविश्वास, आत्मदर्शन का बोध पैदा करती है

ऐसी प्रेरक, पथ प्रदर्शक, ज्ञान की असीम भण्डार गीता की आज जयंती है... सबको अशेष शुभकामनायें... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१८ दिसम्बर २०१८

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