बुधवार, 10 जुलाई 2019

सुर-२०१९-१९१ : #वर्ल्ड_कप_गंवाने_का_एक_ही_रीजन #इस_बार_आयोजन_हुआ_गलत_सीजन




क्रिकेट एक ऐसा खेल जो सारे भारतवर्ष को एक सूत्र में बंधाता है भले ही ये हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं है फिर भी जिस तरह से इसने लोकप्रियता अर्जित की वो आश्चर्यजनक है बच्चों से लेकर बड़ों तक में इसको लेकर जिस तरह से रुझान है वह देखते ही बनता है यहाँ तक कि लडकियाँ जो अमूमन गेम्स से दूर ही रहती वो भी इसकी दीवानी है जिसकी वजह से घर में सभी एक साथ बैठकर इसे देखते है इसका चरम देखते ही बनता जब यही खेल विश्वकप में होता तो उत्साह हर सीमा के परे पहुंच जाता जिसकी वजह से करोड़ों दिलों की धडकनें तब एक ही लयताल पर एक साथ ही धड़क पड़ती जब भी कोई ऐसा मौका आता जब कोई खिलाड़ी बहुत अच्छा खेलता या फिर कोई बेहद गंभीर स्थिति आ जाती और यही नहीं करोड़ों हाथ एक साथ दुआ में भी उठ जाते जब भी लगता कि हम मैच हारने की तरफ बढ़ रहे उस वक़्त तो न जाने कितनी सांसें तक रुक जाती है

इस खेल ने ही नहीं इसके खेलने वालों ने भी सबका दिल जीता और सबके अपने अलगअलग फेवरेट खिलाड़ी जिन्हें देखने वाले यदि उनके अच्छा खेलने पर स्नेह जताते तो बुरा खेलने पर अपना गुस्सा जताने से भी बाज नहीं आते और यही वजह कि कभीकभी वे इस नाराजगी को उनके घरवालों तक पर भी व्यक्त करने से बाज नहीं आते क्योंकि, उनका प्रेम विशुद्ध जिसमें अपनेपन का खालिस अहसास भरा रहता है । यही वो रसायन जो शायद, खेलने वालों को अंतिम क्षणों तक जूझने व लड़ने की प्रेरणा देता कि अनजाने होने पर भी वे जानते कि वे अपने उन चाहने वालों के प्रति जवाबदेह तो उनको जीत का उपहार देने के लिये वे असंभव को सम्भव बनाने का प्रयास करते कभी सफल हो जाते तो कभी असफल भी और कभी यूँ भी होता कि मैच हारकर भी दिलों को जीत लेते है जिस तरह कि आज हारे हुये मैच को जीतने की कगार पर लाकर जब निर्णय आया तो उतनी निराशा न हुई  

शुरुआत आज जिस तरह से हुई नाउम्मीदी में ज्यादातर लोगों ने मैच देखना ही छोड़ दिया यहाँ तक कि टीम इंडिया के लिये नकारात्मक लिखना तक शुरू कर दिया मगर, जैसा कि क्रिकेट की विशेषता कि इसमें कुछ भी निश्चित नहीं किसी भी पल कुछ भी हो सकता तो वही हुआ एकाएक जब लगा कि विजय हासिल हो सकती तो फिर वापस सबने देखना शुरू कर दिया और दुआओं व मन्नतों का सिलसिला भी शुरू हो गया हालाँकि, वो पूर्ण नहीं हुई मगर, जैसा कि पहले लग रहा था कि बुरी तरह हारेंगे अब जीतने की आशा ने पर फैलाना शुरू किया जो निर्धारित लक्ष्य के ऊंचे आसमान तक भले ही न पहुंच पाई हो लेकिन, उसने फिर भी लोगों के हृदय के उस तल को जरुर छू लिया जिसके बाद हार भी फिर उसके सर को झुका नहीं पाई कि वो खुद को एक सम्मानजनक स्कोर तक ला पाने में सफल जरुर हो गयी जिसने दीवानों के जख्मी दिलों पर मरहम का काम किया

यूँ तो आंकलनकर्ता व विशेषज्ञ इंडिया के हारने की कई वजहें बता रहे मगर, जो सबसे बड़ी है वो सीजन है जिसने इस बार के विश्वकप में खलनायक की भूमिका निभाई और कई दफा रोमांचक क्षणों पर पानी फेर अपने नाम को सार्थक कर दिया और कल भी सेमी फाइनल के बीच आकर एक दिवसीय मैच को दो दिवसीय बना दिया उसके बाद जिस तरह से आज शुभारम्भ हुआ वो तो इतना खतरनाक था कि यदि खिलाडियों ने धैर्यपूर्वक बिना धीरज गंवाए न खेला होता तो शायद, वे कप ही नहीं दिलों में बसे अपने उस हिस्से को भी गंवा देते जो सबको नहीं मिलता लेकिन, अब उनके लिये ये ज्यादा जरूरी था तो 100–150 रन में सिमटने वाले मैच को 218 के बड़े स्कोर पर लाकर ये साबित किया कि अब ये नया इण्डिया ही नहीं नई टीम भी है जो मुश्किल वक़्त में घबराती नही बल्कि, हौंसला बनाकर रखती और आखिरी तक संघर्ष करती उसके बाद हारे तो फिर ये हार भी जीत ही लगती है
               
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई १०, २०१९

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