भूल गये
कहकर 'स्टेच्यू'
उन खुशियों को
हम
जिन्हें कभी-भी
'ओवर' कहने का फिर
वक़्त न आया
जबकि, जी सकते थे
अंतर से महसूस
कर सकते थे
उन पलों को भी
हम
जिन्हें रोक
दिया था जबरन
सोचकर ये कि,
मनायेंगे
खुशियां जी-भर
उस दिन ही अब
पूरे होंगे
देखे हुये स्वप्न जब
लगा दिया था ‘स्टॉप’
अनजाने ही मन
पर अपने
झूम न जाना
कहीं
छोटी-छोटी
खुशियों पर ही
मचल न जाना कभी
उन अहसासों को
देखकर
जो ‘बैरियर’ की
तरह
बन जाये
आकांक्षाओं की बाधा
बहला दे मंज़िल
से पहले
भटका दे बीच
राह में देकर छलावा
भूल न जाना ऐ
दिल...
जब तक न पा ले
मनवांछित
कामनाओं को तू
न हंसना,
न खिलखिलाना
न नाचना,
न ही गाना
‘वार्निंग’
देकर खुद को चंद लोग
सीमाओं में
बांध लेते
खुशी मनाने पर
बंदिश लगा देते
अनजाने जीवन
अपना
उदास और नीरस
बना लेते है ।।
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जुलाई १३, २०१९
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें