रविवार, 14 जुलाई 2019

सुर-२०१९-१९५ : #ऑर्गेज़्म_इक्वलिटी_तब #सभी_समानताएं_हासिल_हो_जब




'संबंध के दौरान संतुष्टि मिलने का झूठा नाटक ना करें' - स्वरा भास्कर
#IFakedItToo
#OrgasmEquality
#StopOrgasmInequality

हाई सोसाइटी वीमेन - स्वरा, सही कहती 'ऑर्गेज़म इक्वलिटी' के लिये महिलाओं में अवेयरनेस लाने हम सबको बड़े स्तर पर सोशल मीडिया में एक कैम्पेन चलाने की जरूरत है । बहुत-सी लेडीज को तो ये तक नहीं पता कि ये होता क्या है और इसके बिना हमें कितने हेल्थ इश्यूज झेलने पड़ते है । मैं पढ़ी-लिखी उन गंवार महिलाओं की बात नहीं कर रही जो समझती कि ये तो केवल मर्दों की नीड औरतों को तो इसकी जरूरत ही नहीं होती है । वो तो अपनी जरूरत पूरी कर चलते बनते और पीछे हम परेशान लगता स्वरा की तरह डिल्डो इस्तेमाल करने की भी सलाह देनी पड़ेगी सबको यहाँ तो लड़े बिन कुछ न मिलता तो जुट जाओ सब कल से शुरू करो ये हैश टैग यही टारगेट हमारा ऑर्गेज़म इक्वलिटी लाना है ।

मिडल क्लास लेडी - क्या बकवास है ये सारा दिन परिवार के काम कर के शरीर में जगह-जगह दर्द होने लगता उसके बाद भी कमबख्त पतियों को मना करो तो वे समझते नहीं उन्हें तो बस, अपनी मनमानी करनी है । हम उनकी इच्छा का सम्मान करने भले, तैयार हो जाये पर, देह ही बिस्तर पर होती मन तो घर भर की चिंताओं में इधर-उधर भटकता रहता ऐसे में ऑर्गेज़म जैसी बातों का ख्याल किसे रहता जो न भी मिले तो क्या फर्क पड़ता हम तो अपनों की खुशी में ही मगन है । इनका क्या ये तो सेलिब्रिटीज सब पका-पकाया, बना-बनाया हाथ में मिलता आगे-पीछे लोग घूमते रहते मैडम जूस पी लीजिये, मैडम स्नेक्स ले लीजिए, मैडम ग्रीन टी का टाइम हो गया हम यदि न बनाये तो भूखे रह जाये, न कमाये तो दूसरों को भी न खिला पाये इनका तो मुस्कुराने के भी पैसे मिलते तो कुछ भी कहने में जाता क्या यदि हमें भी इनकी तरह फैसिलिटी मिले तो हम भी ऐसी ही बराबरी की बातें करेंगे फिलहाल तो घर-गृहस्थी ही प्राथमिकता तो सॉरी स्वरा देवी जी ।

निचले तबके की महिला - इन सबसे हमें क्या लेना-देना मिले या न मिले हमें तो दो-रोटी की चिंता यदि वो मिल जाये भरपेट तो हमारे लिये उससे बड़ी सन्तुष्टि कोई दूसरी नहीं होती है । ऐसे में ये नई बला यदि इसे पाने में लगे रहे न तो हो गयी छुट्टी बच्चे भूखे-प्यासे रह जायेंगे क्योंकि, मैं दिन में और ये रात में काम करते तब जाकर हमें दो वक्त का भोजन मिल पाता है । यदि यौन सन्तुष्टि के चक्कर में दोनों घर में पड़े रहे या यही करते रहे तो वो मिलेगी या नहीं ये तो पता नहीं एक नया सदस्य मिलने की पक्की गारंटी तब तो काम अधिक बढ़ जायेगा हमें न चाहिये ये सब रोटी दे रहे तो बात करो भरे पेट, अपार पैसों के बाद जब समय बचता तो ये सब सूझता यहां तो इनमें से एक भी चीज़ नहीं है । फिर हम पहले उसकी व्यवस्था करें या इसमें जुटे तुम हमको न समझाओ तुम्हारे पास फुर्सत और सब सुख भरे पड़े तो तुमको ये दिखाई दे रहा है । पहले उन सबमें समानता दो हमको तब हम भी ये सब सोचे वरना इतनी फुर्सत नहीं हमको कि इसी में लगे रहे यहाँ तो फारिग होकर बचे हुये काम करने पड़ते इसलिए माफ़ करना स्वरा जी हम आपके इस अभियान में आपके साथ नहीं है ।

नोट : इस मुद्दे पर अलग-अलग वर्ग की महिलाओं से हुई चर्चा पर आधारित एक कल्पना चित्र जिसमें इस समस्या का समाधान खोजने की कोशिश की गयी है 
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई १४, २०१९

कोई टिप्पणी नहीं: