गुरुवार, 18 जुलाई 2019

सुर-२०१९-१९९ : #भागना_भी_अच्छा_है #गर_वो_लडकियों_को_ख़्वाब_देखने #और_उन्हें_पूरा_करने_का_मौका_देता है



इन दिनों भागना चर्चा में है लेकिन, गलत वजहों से क्योंकि लोगों को रूचि सदैव उन बातों में होती जो रुचिकर हो या जिनमें ग्लैमर समाया हो फिर भी जो सच्चे कर्मयोगी होते वे निष्काम भाव से अपने काम में लगे रहते जिनका फल भी उनको उनकी मेहनत के हिसाब से मिलता तो यही हुआ जहाँ एक लड़की अपने प्रेम को पाने घर से भागकर अपने पिता को बदनाम कर रही थी वहीं दूसरी तरफ दो एथलीट अपने लक्ष्य को पाने के लिये दौड़ रही थी और इस तरह भागी कि अपना या अपने माता-पिता का ही नहीं अपने देश का नाम भी रोशन कर दिया और इन दोनों खबरों के एक समय आने से ये भी लोगों को समझ में आया कि लकड़ियाँ यदि भागना ही चाहती तो किसी अनिश्चित अनदेखे अंधकारमय भविष्य के पीछे दौड़ने की बजाय एक निश्चित कामयाबी से भरी चमचमाती मंजिल को पाने दौड़ लगाये जो न केवल उनको नाम, प्रसिद्धि, आर्थिक आज़ादी और मजबूती प्रदान करेगा बल्कि, उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ायेगा जिसके बूते पर न जाने कितनी गुमनाम लडकियाँ जो घर के किसी कोने में बैठकर अपने सपनों को पाने की आस लगाई हुई उनको उड़ने के लिये पंख व आसमान मिलेगा न कि खुद को आत्मनिर्भर बनाये बिना किसी प्रेमी के चक्कर में भागे जो ऐसी लडकियों के पाँव जिनकी जंजीरें ढ़ीली हुई उनमें कसाव ही न बढ़ा दे बल्कि, अनगिनत बच्चियों को कोख़ में मरने मजबूर भी कर दे क्योंकि, बड़ी मुश्किल से एक लड़की चारदीवारी के बाहर कदम निकाल पाती ऐसे में इस तरह की खबर कई अजन्मी कन्याओं के लिये मौत का फ़रमान बन जाती तो अपने हर कदम को ऐसे बढायें कि उनके पदचिन्हों पर चलकर बाकी की लडकियाँ भी अपने ख्वाबों को पूरा कर पाये जिस तरह से ‘दूती चंद’ व ‘हिमा दास’ ने किया और देश को गोल्ड मैडल दिलवाये पर, चर्चा उनकी नहीं एक घर से भागी लड़की की हो रही जबकि, ये सभी घटनायें एक ही कालखंड में हुई है

ये दोनों लडकियाँ इसलिये भी ख़ास है क्योंकि, ये किसी तरह की सुख-सुविधा या सम्पन्नता के बीच नहीं पली फिर भी इनके मन में जो ख्वाहिश थी उसे पूरा करने के लिये इन्होने हर मुश्किल राह की हर बाधा को नंगे पाँव ही पार किया इनके मजबूत इरादों ने इनको किसी भी मोड़ पर डिगने नहीं दिया और अपने  दम पर इन्होने धाविकाओं के रूप में अपनी ऐसी पहचान बनाई कि बहुत जल्द देश की शीर्ष खिलाडियों के तौर पर स्थापित हो गयी और गाँव-कूचों में रहने वाली लडकियों को ये अहसास दिलाया कि न तो कोई जगह और न ही किसी तरह की कोई विशेष सुविधा ही सफलता दिलाती केवल सच्ची लगन होना ही पर्याप्त है ऐसे में इनकी खबर यदि दबी रह जाये या इनको इनकी इस असाधारण काम्याबी पर वो मान-सम्मान व कवरेज हासिल न हो तो ये इनका नहीं हमारा अपमान है जो बेकार की खबरों को तो भरपूर तवज्जो देते और उन और लम्बी-लम्बी पोस्ट भी लिखते पर, इतने महत्वपूर्ण समाचार को नजरअंदाज कर देना उन लडकियों के सपनों को परवाज नहीं देना जिनको ये जानकर अपने पांवों पर खड़े होने का विश्वास जागेगा अन्यथा शायद, वे भी भागी हुई लड़की के नाम पर ताने सुन रही हो मगर, जब ये जानेंगी तो गर्व से सर ऊंचा और आत्मबल से रगों में जोश दूना हो जायेगा तब इसे सुनाकर शायद, वे अपने पालकों को भी अपने उपर भरोसा करने के लिये आश्वस्त कर सके कि भागने का मतलब किसी अंधे रास्ते में दौड़ना ही नहीं बल्कि, अपने टारगेट को अचीव करना भी होता है              

१० जुलाई को राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी ‘दुती चंद’ विश्व यूनिवर्सिटी खेलों में 100 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इन खेलों में अव्वल रहने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक और फील्ड खिलाड़ी बन गई और इस तरह 23 बरस की दुती ने 11.32 सेकंड का समय निकालकर रेस जीती एवं ओडिशा की दुती वैश्विक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली ‘हिमा दास’ के बाद दूसरी भारतीय एथलीट बन गई । दूसरी तरफ भारत की युवा स्प्रिंटर हिमा दास ने अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखते हुए कल 15 दिनों के भीतर ‘चौथा स्वर्ण पदक’ जीतकरअपनी शानदार फॉर्म जारी रखी है । महिलाओं की 200 मीटर रेस में हिमा ने चेक रिपब्लिक में चल रहे टबोर एथलेटिक्स मीट में 17 जुलाई को महज 23.25 सेकेंड में दौड़ पूरी कर एक और गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया । इसके पूर्व उन्होंने ‘पहला गोल्ड’ 2 जुलाई को पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस में लिया जिसे उन्होंने 23.65 सेकंड में पूरा किया व उसके बाद ‘दूसरा गोल्ड’ 7 जुलाई को पोलैंड में कुटनो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा कर जीता जिसके बाद ‘तीसरा’ गोल्ड उसने 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में हुई क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स में महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा कर अपने नाम किया था । वे केवल विदेशों में दौड़कर गोल्ड ही नहीं जीत रही साथ ही उनका ध्यान अपने देश की तरफ भी है तो जब उनको अपने गृहराज्य असम में बाढ़ का पता चला तो न केवल उसके लिये अपील की बल्कि, अपनी आधी सैलरी दान भी कर दी जो उनके भीतर छिपी मानवीयता को भी दर्शाता है

इन दोनों धाविकाओं को गोल्ड व दिल जीतने की बधाई... जय भारत... !!!    

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई १८, २०१९

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