तुम्हारे पास 'चरित्र' नहीं
है क्या ?
नहीं मैम,
प्रिंसिपल ने नहीं दिया बोले बाद में ले जाना
अभी वो मैडम छुट्टी पर है जो देती है ।
ओह, फिर तो दिक्कत होगी, बिना 'चरित्र'
के एडमिशन नहीं हो पायेगा ।
मैडम, सर तो बोले कि अभी वचन पत्र लगा सकते है फिर जब
आ जायेगा तो जमा कर देंगे ।
क्यों मैडम,
ऐसा हो सकता है क्या ?
दूसरी मैडम -
हाँ, ले सकते है जिनके पास 'चरित्र' नहीं
वो वचन पत्र लगाकर उसे बाद में जमा कर सकते है ।
पहली मैडम -
ठीक है फिर लाओ ।
तभी दूसरी लड़की
आगे आई, उसके डाक्यूमेंट्स चेक कर मैडम बोली
अरे, तुम्हारा भी चरित्र नहीं है ।
हैं न मैडम
देखिये, ट्रांसफर सर्टिफिकेट में ही जुड़ा है ।
हे, ऐसा भी होता है क्या दिखाओ अरे हां नीचे लिखा तो
है 'आचरण अच्छा है' ओके चल जायेगा ।
अगली छात्रा -
मैडम बिना 'चरित्र' के एडमिशन नहीं मिलेगा क्या?
मैडम - ऐसा
नहीं है वचन पत्र लगाकर ले सकते है जाओ बनवा लाओ ।
तभी पंक्ति में
सामने आया एक लड़का जिसके प्रपत्र देखकर मैडम बोली, तुम्हारा 'चरित्र'
भी नहीं है क्या ?
सॉरी मैम,
घर पर भूल आया अभी जाकर लाता हूँ ।
ओके जल्दी लेकर
लाओ, नेक्स्ट दिखाओ अपने डाक्यूमेंट्स ।
तुमने चरित्र
नहीं लगाया क्या ?
लगाया है न
मैडम ये देखिये उसने स्कूल के लेटर पेड पर लिखा हुआ दिखाया ।
अच्छा तो अलग
से बना है ।
जी मैडम,
हमारे स्कूल में ऐसा ही मिलता सबको यही मिला है
।
ओके, बाकी डाक्यूमेंट्स दिखाओ ।
इस तरह एक के
बाद एक बारहवीं पास करने के बाद कॉलेज में ऑनलाइन एडमिशन के लिये छात्र-छात्रायें
अपने सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिये आते गये और मजेदार संवाद होते रहे जिन्हें
सुनकर उस वक़्त तो कुछ अजीब नहीं लगा कि व्यस्तता व काम करने की जल्दबाजी थी । फिर
जब बाद में इन बातों पर गौर किया तो बड़ी हंसी आई और ख्याल भी कि 'चरित्र प्रमाणपत्र' को शार्ट में केवल 'चरित्र'
कहने से कैसी विचित्र स्थिति उत्पन्न हो सकती है
। ये भी एक सत्य कि 'चरित्र'
कागज का टुकड़ा नहीं और न ही उस पर लिखी इबारत से
वो अच्छा या बुरा हो जाता फिर भी एक दूसरे व्यक्ति के लिखे बिना ये निर्धारित भी
नहीं होता है ।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जुलाई ०७, २०१९
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