ये समस्त सौर
मंडल, अंतरिक्ष, नील आसमान और उस पर टिमटिमाते नन्हे सितारे व नक्षत्र जो बहुत दूर नजर
आते सदैव से मानव मस्तिष्क की जिज्ञासा के केंद्र रहे जिनको जानने के प्रयास भी हर
कालखण्ड में चलते रहे व आज तलक भी जारी है । इस परिप्रेक्ष्य में आज चन्द्रयान-2 को भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा चन्द्रमा पर भेजा
गया इसके पूर्व 22 अक्टूबर 2008 में चन्द्रयान-1 को भी भेजा गया था ताकि, इस
ग्रह से इतर दूसरे ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाओं को तलाशा जा सके और वो चांद जो
कवि-कवयित्रियों की कविता का मुख्य पात्र होता उसकी हकीकत से सबको रूबरू किया जा
सके कि ये महज़ सौंदर्य का प्रतीक नहीं है ।
बहुत कुछ तो
इसके बारे में ज्ञात किया जा चुका उसके अलावा भी ऐसा बहुत कुछ अभी बाकी जिसकी खोज
जारी है और जब ये सब कुछ हासिल हो जायेगा तब किसी और ग्रह या उपग्रह को निशाना
बनाया जायेगा कि टेक्नोलॉजी इतनी अधिक विकसित हो चुकी कि जो कुछ भी कभी कल्पना या
ख्याल था आज उसकी वास्तविकता को सामने लाया जा चुका या लाने की पुरजोर कोशिशें
जारी क्योंकि, ज्ञान का कोई
अंत जो नहीं है । श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर आज भगवान शिव के मस्तक पर
विराजमान उस चन्द्र पर जाना मानो कुछ अन्य अनसुलझे रहस्यों से भी पर्दा उठना और
शशिशेखर के आशीर्वाद से ये सम्भव हो सकता कि ये पावन दिवस सकारात्मक ऊर्जा से
भरपूर समस्त ब्रम्हांड में गूंजता ॐ नमः शिवाय का अनंत जाप इसे शक्ति प्रदान करेगा
जिससे कि ये अपेक्षित परिणामों को लाने में कामयाब हो सके कि शुभ काम में शुभ
संयोगों का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है ।
इसके अलावा 22 जुलाई का महत्व इस वजह से भी ऐतिहासिक कि आज ही
के दिन 1947 में हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को
अंगीकार किया गया था जिसकी वजह से आज 'राष्ट्रीय
झंडा अंगीकरण दिवस' भी मनाया जाता
जो हमारे लिये गौरव व हर्ष का विषय कि इस तिरंगे की वजह से हमें विश्वपटल पर अपनी
एक अद्वितीय पहचान मिली जिसके द्वारा हम आज भी अपनी खुशी व विजय ही नहीं शोक का भी
इजहार करते है । इस तरह से ये केवल तीन रंगों का कपड़ा नहीं हमारी आन-बान-शान का
प्रतीक है और अब चन्द्रयान-2 के द्वारा इसे
फिर एक बार अंतरिक्ष में लहराया जायेगा जो इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में सदा-सदा
के लिए अंकित हो जायेगा और अभी देश की बेटी ढिंग एक्सप्रेस 'हिमा दास' लगातार दुनिया
में इसे फहराकर ये साबित कर ही रही कि सच्ची लगन हो तो अभाव या मुश्किलें कभी-भी
किसी लड़की की राह की बाधा नहीं बन सकते है ।
ये अभियान या
मिशन मून भी इस बात को प्रमाणित कर रहा है क्योंकि, चन्द्रयान-2 की कमान दो
महिला वैज्ञानिक ही संभाल रही हैं और इसरो के इतिहास में यह पहली बार होगा जब किसी
अंतरिक्ष मिशन की कमान दो महिला वैज्ञानिकों के हाथों में है याने कि देश-विदेश से
लेकर अंतरिक्ष तक स्त्रियां अपने हूनर व कौशल का परचम लहरा रही है । इसमें 'वनिता मुथैया' चन्द्रयान-2 मिशन में 'प्रोजेक्ट डायरेक्टर' हैं तो दूसरी वैज्ञानिक 'रितु
करिढाल' मिशन डायरेक्टर के रूप में इस मिशन पर
काम कर रही हैं । यही नहीं इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 को कागज से उड़ान भरने तक संभव करने वाले स्टाफ में 30 प्रतिशत महिलाएं ही शामिल हैं और सबसे बड़ी
उल्लेखनीय बात यह है कि भारत का यह मिशन सफल हो जाता है तो चंद्रयान-2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन बन जाएगा, जो चन्द्रमा की दक्षिणी सतह पर उतरेगा जो कि वह
अंधियारा हिस्सा है, जहां अब तक
दुनिया का कोई देश नहीं पहुंचा है।
इस तरह
चन्द्रयान-2 से कई विशेषताएँ जुड़ी जो इसे विशेष
बनाती और हमें ये बताती कि कुछ महिलाएं जहां श्रावण सोमवार पर महाकाल का अभिषेक कर
खुद को धन्य समझ रही तो वही दूसरी तरफ कुछ शिव के ललाट पर चमकते उस चांद तक
पहुंचने उड़ान भर रही तो कोई दौड़कर उसे छूने में लगी इस तरह एक 'चांद' सबकी
अपेक्षाओं का सिंबल जिसके मायने वही या फिर भगवान शिव समझते है । वो औघड़दानी सबकी
मनोकामनाओं को पूर्ण कर उनको मनोवांछित परिणाम दे और बेटियों पर यूँ ही अपनी
कृपादृष्टि व वरद हस्त रखता रहे ताकि, वे
केवल मनचाहा वर नहीं बल्कि, जीवन की
सार्थकता को समझ उसके अनुरूप कामनापूर्ति हेतु से शिवाभिषेक करें यही तो आज की
जरूरत भी है ।
सब देशवासियों
को बहुत-बहुत बधाई... 💐💐💐
हर हर
महादेव... जय हिन्द... जय भारत... 🇮🇳
🇮🇳 🇮🇳 !!!
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जुलाई २२, २०१९
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