रविवार, 21 जुलाई 2019

सुर-२०१९-२०१ : #लघुकथा #आखिर_कमी_क्या_थी




गरिमा, तूने सुना दिव्या भाभी ने आज आदर्श भैया को तलाक दे दिया है ?

क्या बकवास करती है मर्यादा, विश्वास नहीं होता भाभी तो बहुत सीधी-साधी भोली-भाली नजर आती थी फिर ऐसा कांड कैसे कर दिया ।

तभी उसकी बात काटती संस्कृति बोली - अरे, तू नहीं जानती आजकल की लड़कियों को ऊपर से सती-साध्वी नजर आती पर, भीतर-ही-भीतर गुल खिलाती उनका भी जरूर कोई चक्कर रहा होगा वरना, आदर्श भैया जैसे पति को कौन छोड़ता है ।

तू सही कहती है संस्कृति, वरना भैया में कोई कमी नहीं थी यहां तक कि सास-ससुर भी बहुत अच्छे और भाभी का ख्याल रखते थे फिर भी उन्होंने किसी का ख्याल न किया और सबसे सम्बन्ध तोड़ लिया इससे अच्छा तो उन्हें शादी ही नहीं करनी थी ।

मुझे तो सुनकर आश्चर्य हो रहा कि ये कैसे सम्भव ? भैया सरकारी नौकरी में ऐसा कोई व्यसन भी न उनमें सिवाय धूम्रपान के पर, पैसों और सुख-सुविधा की कोई कमी नहीं घर में हर काम के लिए नौकर, बड़ी कार, बंगला, जमीन-जायदाद, प्रॉपर्टी सब कुछ था और एक औरत को इससे ज्यादा और क्या चाहिये । ऐसे में समझ नहीं आता कि भाभी ने ऐसा क्यों किया, आखिर क्या कमी थी भैया में जो उनका जीवन बर्बाद कर दिया खुद तो अब ऐश कर रही होगी लेकिन, मैं चुप न रहूंगी पूछकर रहूंगी उनसे ये प्रश्न अभी फोन करती हूं उनको ।

सही कह रही तू अभी की अभी फोन लगा और स्पीकर ऑन रखना हम भी तो सुने महारानी जी क्या कहती है ।

गरिमा ने तुरंत कॉल किया उधर से दिव्या की आवाज़ आई तो पहले कुछ औपचारिक बात कर उसने सीधे अपना सवाल जड़ दिया, भाभी हमें अभी पता चला कि आपने भैया से तलाक ले लिया क्या ये सच है उधर से ‘हां’ कहे जाने पर उसने अगला प्रश्न दागा, भाभी क्या आप ये बतायेंगी कि आपने ऐसा क्यों किया भैया में आखिर, क्या कमी थी ???

कुछ नहीं बस, शुक्राणु कम थे ।

उधर से ये जवाब सुनकर उसके हाथ से मोबाइल छूट गया और गरिमा, संस्कृति व मर्यादा के चेहरों पर झलकता सवालिया निशाना बता रहा था वो ये जानकर सदमे में थी कि, शादी टूटने की वजह ये भी हो सकती है जो एक औरत के लिये समाज में अपनी खराब छवि निर्मित होने से भी अधिक मायने रखती है । 
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई २१, २०१९


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