मंगलवार, 30 जुलाई 2019

सुर-२०१९-२११ : #समय_की_मांग_सब_साथ_आओ #ओ_सोने_वालों_अब_तो_जाग_जाओ




‘न्याय’, ‘कानून’, ‘इंसाफ’ ये सभी शब्द आज मानो अपने अर्थ खोकर मजाक का विषय बन चुके है इसलिये अब तो इनको जुबान पर लाने में भी ये राहत की जगह हास्य पैदा करते कि जिस तरह इन्होने लगातार बढ़ रहे अपराधिक मामलों से अपनी फ़जीहत करवाई तो लगता कि किताबों में दर्ज मुंह छिपाने के सिवाय अब इनके लिये कोई दूसरी जगह ही नहीं बची है दुष्कर्म के प्रकरणों में तो इसने अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो दी कि कठोर कानून बनने के बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों जबकि, होना था कि इन पर पूरी तरह विराम लग जाता लेकिन, दुराचारियों के हौंसलों में तो लगाम लगने की जगह लगता छूट मिल गयी हो वे तो अब हदों से आगे बढ़ते बढ़ते लोगों के घरों की दहलीज तक पहुंचने लगे है

सरकार बदलने के बाद होना तो ये चाहिये थी कि हर लड़की खुद को सुरक्षित महसूस करती मगर, हुआ ये कि न केवल उसके साथ दुराचार किया जा रहा बल्कि, उसके सारे परिवार को भी दिन दहाड़े खुलेआम सबके सामने मौत के घाट उतारा जा रहा और अपराधी जिसको फांसी पर लटकाया जाना था कानून उसको सरंक्षण दे रहा है इस देश में ‘लॉ एंड आर्डर’ महज़ आम जनता को धोखा देने वाला एक शब्द जिसकी आड़ में उसको ये भरम दिलाया जाता कि सब कुछ ठीक है मगर, भीतर ही भीतर ये केवल, अमीर और शक्तिशाली लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता इसलिये ज्यादातर आम आदमी इससे बचने का प्रयास करता और छोटी-मोटी वारदात को नजरंदाज कर आगे बढ़ जाता कि शिकायत करने पर इलज़ाम उसके ही सर मढ़ दिया जाता है

‘उन्नाव दुष्कर्म प्रकरण’ में भी यही हुआ अव्वल तो पीड़िता की बात सुनी ही नहीं गयी जब दबाब में आकर FIR दर्ज भी की गयी तो अपराधी की जगह पिता को पकड़ लिया गया और इस तरह उसके साथ होने वाले अन्यायों का जो सिलसिला शुरू हुआ तो उसका अंत ही नहीं आ रहा जिसमें ताजा-तरीन मामला उसके उपर हुये हमले का है एक तो वो ‘लड़की’ दूसरा ‘गरीब’ तीसरा ‘मुखर’ जो अत्याचार सहती नहीं उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाती और सरकार को झुकाती कि उसके साथ अत्याचार करने वाले को सज़ा दिलाई जाये जिसका खामियाज़ा उसे अपने परिजनों को खोकर भुगतना पड़ता है इस पर दुष्कर्मी ‘बाहुबली’ तो वो इंसाफ की उम्मीद किस तरह करती कि इस देश में ये आजकल अदालतों में भी मिलता कम खरीदा ज्यादा जाता है ऐसे में जिसके पास इसकी मुंहमांगी बोली लगाने रकम नहीं उसके साथ किस स्तर तक ज्यादती की जा सकती ये इस मामले में हम सबने देखा पर, अब इसके आगे इससे बुरा न देखना पड़े इसलिये सबको इस जुल्म के खिलाफ़ आवाज़ उठाने एक साथ पड़ेगा अन्यथा जब आग की लपटें आपके घर तक पहुचेंगी तो उसे बुझाने कोई मदद को साथ नहीं आयेगा इसलिये ये समय हर मतभेद व विचारधारा को त्यागकर एक बनने का है

किस उम्मीद से उत्तरप्रदेश की बागडोर अवाम ने एक ऐसे दल को सौंपी थी कि शायद, इसके बाद उसे जंगल राज से छुटकारा मिल जायेगा मगर, समझ में ये आया कि दल बदलते, नेता बदलते, चेहरे नये आते पर, फ़ितरत सबकी एक होती सब केवल सत्ता का सुख भोगने आते इसलिये कुर्सी से चिपके रहते नहीं तो अब तक उस विधायक को उसके अंजाम तक पहुँच जाना था । फिर भी जो अब तक न हुआ वो अब हो सकता यदि हम सब एक साथ मिलकर उसके विरुद्ध सरकार तक अपनी गुहार लगाये इतनी जोर से धमाका करें कि बहरी सरकार व अंधी इंसाफ की देवी दोनों उसे फांसी पर लटकाने मजबूर हो जाये इससे कम सज़ा हमे मंजूर नहीं है । इंसाफ जब अपने आप मिले नहीं तो उसे छीनने की जरूरत क्योंकि, ख़ामोशी से इनकी हिम्मत बढ़ती और हमारा बिखरा होना भी इनके पक्ष में जाता तो ऐसे में हम सब अगर, ऐसे हर मामले में एक साथ आगे आकर न्याय के लिये आवाज़ उठाये तो निसंदेह सामने कोई हो हम उसे झुका सकते है ।                

#Unnao_Rape_Case
#Hang_The_Rapist
#India_Wants_Justice 
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई ३०, २०१९

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