शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

सुर-२०१९-२०७ : #कारगिल_विजय_दिवस #बलिदानियों_का_कराये_स्मरण



आज उस जबरन थोपे गये ‘कारगिल युद्ध’ को बीस साल होने जा रहे जो उन शातिर पीठ में खंजर मारने वाले दोमुंहे पाकिस्तानियों की साजिश का अंजाम था जो हमेशा से भारत पर चोरि-छिपे आक्रमण कर उसकी जमीन को किसी भी तरह से हथियाना चाहते तो लगातार उसके लिये दुश्चक्र रचते रहते जिसमें उनको मात भी हासिल होती मगर, अपनी गलत दूषित मानसिक प्रवृति की वजह से वे इसके बावजूद भी बाज नहीं आते न ही अपनी पराजय को ही स्वीकार कर पाते बल्कि, हर हार के बाद फिर ऐसे ही जाल बिछाने में जुट जाते अपनी नाकामियों से सीखने की जगह वो इन घृणित कोशिशों में अपनी समस्त ऊर्जा व समय का व्यवय करते जो आज भी उसी तरह से जारी है

भारतवर्ष की यही पहचान व ख़ासियत कि उसने आज तक किसी से आगे होकर जंग नहीं लड़ी और न हो किसी को अपने कब्जे में करने जैसे हथकंडे ही रचे मगर, यदि किसी ने सामने से आकर ललकारा या युद्ध का बिगुल बजाया तो उसके बाद भी शत्रु को पहले उसने शांति का पैगाम ही भिजवाया ताकि, उन बेकुसूर व निर्दोष लोगों को बचाया जा सके जिन्हें बेवजह ही इस आपदा या विभीषिका का कोप भाजन बनना पड़ेगा उसके बाद भी अगर, दुश्मन न माने तो कफिर बचाव के लिये जो भी सम्भव वे प्रयास अवश्य करता बोले तो डिफेन्स के लिये ही हथियार उठाता और इसमें भी उसकी कोशिश रहती कि बेवजह किसी बेगुनाह को मारना न पड़े वर्तमान में की गयी सर्जिकल व एयर स्ट्राइक में भी हमारे फौजी भाइयों ने किसी सिविलियन को घायल किये बगैर अपना पराक्रम दिखाया और इस तरह से ये दोनों हमले किये गये कि जान-माल का नुकसान कम से कम हुआ जो हमारी उस मानवीयता को दर्शाता जो ऋषि-मुनियों की भूमि ‘आर्यवर्त’ का दूसरा नाम है ।

‘इंसानियत’, ‘अमन’, ‘करुणा’ के अलावा ‘क्षमा’ हमारा ऐसा गुण जिसकी वजह से हम दुश्मन की नापाक हरकतों व घटिया आदतों को जानते हुये भी एक पिता व बड़े भाई की तरह हर बार उसे माफ़ कर देते जिसका फायदा वो इस तरह से उठाता कि हमें पीठ पर जख्म पर जख्म दिये जाता कि एक जहरीला नाग जिस तरह दबोचे जाने पर भले डंसता नहीं मगर, जब मौका मिलता वार कर देता उसी तरह ये पाकिस्तान है जो है तो इसी देश का हिस्सा मगर, अपने धड़ से जुदा होते ही अपनी तहज़ीब भूल गया और उसी पुरानी फ़ितरत पर वापस आ गया जो उसकी ख़ास पहचान जिससे वो कभी बाज आयेगा या नहीं इसकी उम्मीद कम ही पर, हमें अपने सैनिकों पर पूरा यकीन कि वो ऐसे किन्हीं भी हालातों में उसे मुंहतोड़ जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा आज भी उन्हीं वीर बलिदानियों की पुण्यतिथि जो हमको उन जाबांज सपूतों की बहादुरी ही नहीं शत्रु की कमजोरी भी याद दिलाती है ।             

‘कारगिल विजय दिवस’ पर वीरगति प्राप्त सभी सिपाहियों को मन से नमन... जय हिन्द... जय भारत... वन्दे मातरम... !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई २६, २०१९

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