गुरुवार, 11 जुलाई 2019

सुर-२०१९-१९२ : #समस्त_समस्याओं_का_एक_हल #जनसंख्या_नियंत्रण_कानून_बने_जल्द



बेरोजगारी, पर्यावरण संकट, प्रदुषण, जमीन-पानी व अन्य संसाधनों की कमी, ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद, बढ़ते अपराध और भी जितनी समस्याओं के नाम हम आये दिन लेते रहते यदि उनकी जड़ में जाये तो एक ही मुख्य वजह नजर आती पृथ्वी की क्षमता से अधिक दिन दुगुनी, रात चौगुनी रफ़्तार से वृद्धि करती हुई जनसंख्या मगर, लोग इसकी बजाय दूसरी बातों पर ध्यान देते रहते है

यदि हम इस पर लगाम लगा पाये या इसमें थोड़ी-भी कमी ला पाये तो इससे जुड़ी बाकी समस्याओं को भी काफी हद तक काबू में ला पायेंगे मगर, हम इसकी जगह उन पर ध्यान देते जिसके कारण वे कम होने की बजाय अधिक होती जाती इसलिये ये जरुरी है कि हम अब ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ बनाने पर अपना फोकस करें अन्यथा इससे भी अधिक मुश्किल हालतों से आगे आने वाले दिनों में सामना करना पड़ सकता है

तब शायद, इसको हल करना संभव की सीमाओं से पार हो जाये क्योंकि, एकमात्र ‘जनसंख्या’ ही है जिसे भले हम पैदा करते हो लेकिन, ये अकेले ही समस्त समस्याओं को जन्म देती है फिर भी हम इसको हल करने की कोशिश नहीं करते बल्कि, उन मुद्दों के समाधान ढूँढने में लग जाते जिससे कि जितना हमने प्रयास किया या जितना उनको दूर या कम करने की कोशिश की उतना ही उनको ज्यादा प्रबल पाते है

अतः सब हम सबको मिलकर सिर्फ और सिर्फ इस प्रोब्लम को ही सोल्व करने अपनी ऊर्जा व समय लगाना चाहिये जिस तरह हम एक छोटे-से घर में अपने सयुंक्त या बड़े परिवार के साथ रहने में दिक्कत महसूस करते उसी प्रकार ये पृथ्वी जिसमें सारी दुनिया समाई उसमें भी एक सीमित स्थान और जगह जहाँ उतने ही लोग समा सकते जितनी उसके भीतर रिक्तता हो उससे अधिक आबादी होने पर वो भी कराहने लगती है

मगर, हमने तो जल, वायु, जमीन, पेड़-पौधों, जीव-जंतु, कीट-पतंगों सबके रहने की जगह छीनकर अपने घर बसा लिये फिर रोना रो रहे कि हमारी आने वाली पीढ़ी को रहने को घर, पीने को पानी और सांस लेने को शुद्ध हवा किस तरह मिलेगी पर, ये बोलते समय ये ध्यान नहीं दिया कि समस्याओं को इस हद तक लाने के जिम्मेदार भी तो हम सब ही है और हमारा देश इस मामले में जल्द ही दूसरे देशों को पीछे छोड़ने वाला है

ये सब पढ़कर भी यदि हम सो रहे या ये समझ रहे कि समय के साथ सब अपने-आप ठीक हो जायेगा तो हमारी गफ़लत ही कहलायेगा जिसका खामियाजा सब एक साथ भुगतेंगे आखिर, इसे इस चरम बिंदु तक लाने व रोकने में नाकामी के अपराधी भी तो हम ही है जिसका न्याय कोई मानवीय अदालत या कानून नहीं बल्कि, प्रकृति स्वयं ही करेगी अभी वो देख रही कि हम क्या कर रहे जब उसे लगेगा कि हम लाचार तब वो उस कयामत का आह्वान करेगी जिसकी भविष्यवाणी ऐसे ही किसी दिन के लिये की गयी है     

_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई ११, २०१९

कोई टिप्पणी नहीं: