शुक्रवार, 19 जुलाई 2019

सुर-२०१९-२०० : #हुतात्मा_मंगल_पाण्डेय #प्रथम_विद्रोही_कहलायेंगे_सदैव

 


ओ आज़ादी की पहली लड़ाई के
सबसे पहले सिपाही...

जनम ने लेते तुम अगर,
आज़ादी की आहट न पाते हम
छेड़ा जंग का नाद तुमने
विद्रोह का स्वर बनकर उभरे तुम
सहते-सहते अन्याय निरंतर
टूट पड़ा सब्र का बाँध भी खुलकर
रगों में बहता रक्त खौला 
निकला बनकर क्रोध की ज्वाला
कारतूस महज़ बहाना बना
स्वाधीनता का दहकता शोला भड़का
सुलग रही थी जो ज्वाला भीतर
एकाएक हो गयी वो मुखर
सामने शत्रु का फिर कद न देखा
बेख़ौफ़ हो पक्ष अपना रखा
उठाकर बंदूक स्वाधीनता का बिगुल छेड़ा
प्रथम संग्राम का आगाज़ जो बना
हिम्मत बने भारत की तुम
राष्ट्रभक्तों को दिया जीने का मकसद
भारतमाता को स्वतंत्र कराओ
गुलामी की बेड़ियों से अब तो छुड़ाओ
कब तक जुल्म सहते रहोगे
आगे बढ़कर न हक की बात कहोगे
अपने लिए भी क्या न लड़ोगे    
समय आ गया जागो सोने वालों अब
खदेड़ो अंग्रेजों को मिलकर सब
जब तक न आज़ादी पाओ
ख़ुशी न कोई भी तब तक मनाओ
यही एकमात्र लक्ष्य बनाओ
देकर संदेश ये सबको वो चले गये
काम उनका सब करते रहे
समय लगा जरुर पाने स्वतंत्रता  
देर से ही सही मगर,
जीने का अधिकार तो मिला
देश गणतंत्र बना
संविधान का तोहफ़ा पाया
‘मंगल पाण्डेय’
होते न जो तुम अगर,
जंगे आज़ादी शुरू करता कौन ???              
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जुलाई १९, २०१९

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