अभाव, संघर्ष, गरीबी
कहने को नहीं
होती अच्छी
कि, घोटना पड़ता है
अपने ही हाथों
नित ख्वाहिशों
का गला
मन में उमड़ती
हुई
दूसरों को
देखकर जागती
कुछ पाने की
ललक
जिसे भीतर
दबाते-दबाते
लम्बे समय तक
हृदय में भी पड़
जाते घाव
सब में नहीं
होता इतना ज्यादा सब्र
कि झेल सकें
सभी झंझावात
अक्सर, विषम परिस्थितियों और
विपरीत हालातों
के चलते
टूट जाते कुछ
होकर लाचार
तो कुछ थाम
लेते अपराध का हाथ
और कुछ बीच राह
भटक जाते
महज़, चंद ही होते ऐसे
जो कठिनाइयों
को बनाकर पुल
कर लेते इन
दुर्दिनों को पार
मगर, रोते नहीं कभी-भी दुखी होकर
न ही बैठ जाते
कहीं होकर मजबूर
न भाग्य पर
फोड़ते ठीकरा
वे तो बस,
अपने आप पर करते विश्वास
तो तोड़ देते
पांवों की वो बेड़ियां
जो आगे बढ़ने से
रोकती
अपने अलहदा
कारनामों से फिर
बनाते नये-नये
कीर्तिमान
ऐसे ही लोग तो
रचते है इतिहास
जिस तरह आम से
बने ख़ास
विज्ञान में
किये अनूठे चमत्कार
कहलाये 'मिसाइल मैन'
'डॉ ए.पी.जे.
अब्दुल कलाम'
आज पुण्यतिथि
पर करते हम उनको
फिर एक बार दिल
से सलाम ।।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जुलाई २७, २०१९
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